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कृषि निर्यात नीति पर आधारित पहला राज्‍य स्‍तरीय जागरूकता कार्यक्रम पुणे में आयोजित

देश-विदेश

नई दिल्ली: केन्‍द्रीय वाणिज्‍य मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने पुणे में कृषि निर्यात नीति पर आधारित पहले राजय स्‍तरीय जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्‍होंने कहा कि कृषि निर्यातों के विकास के लिए देशभर में कलस्‍टरों की पहचान की गई है। श्री प्रभु ने कहा कि इसके सफल कार्यान्‍वयन के लिए महाराष्‍ट्र में अंगूर, आम, अनार, केले, संतरे और प्‍याज के निर्यात के लिए 6 कलस्‍टरों की पहचान की गई है। किसान उत्‍पादक संगठनों (एफपीओ) और सहकारी संगठनों को किसानों और निर्यातकों के साथ जोड़ना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि इन कलस्‍टरों में आवश्‍यक बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने की आवश्‍यकता है और कृषि के क्षेत्र में नवीनतम प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल होना चाहिए। उन्‍होंने चुनिंदा उत्‍पादों की मांग बढ़ाने के क्रम में आकर्षक पैकेजिंग पर भी जोर दिया। भारतीय पैकेजिंग संस्‍थान अंतरराष्‍ट्रीय बाजारों के लिए स्‍तरीय पैकेजिंग के काम में जुटा है।

भारत सरकार ने हाल में एक कृषि निर्यात नीति जारी की है। इसका लक्ष्‍य निर्यात आधारित कृषि उत्‍पाद और प्रसंस्‍करण से लेकर परिवहन, आधारभूत सुविधा और बाजार पहुंच तक संपूर्ण मूल्‍य श्रृंखला को सुदृढ़ करना है। कृषि निर्यात नीति में निर्यात आधारित कृषि उत्‍पादन, निर्यात संवर्धन, भारत सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के अनुसार खेती को बेहतर रूप में व्‍यवस्‍थित करने पर जोर दिया गया है।

किसानों, निर्यातकों और अन्‍य संबंधित हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करने के उद्देश्‍य से 2 फरवरी,2019 को वैकुंठ मेहता नेशनल इंस्‍टीटयूट ऑफ को-ऑपरेटिव मैंनेजमेंट, पुणे में कृषि निर्यात नीति पर आधारित पहला राज्‍य स्‍तरीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

श्री सुरेश प्रभु ने बताया कि राज्य सरकारों के साथ मिलकर कृषि निर्यात नीति को संयुक्‍त रूप से तैयार किया गया है और इसे संबंधित राज्‍य के कृषि और बागवानी विभागों द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।

श्री प्रभु ने बताया कि भारत में प्रतिवर्ष लगभग 600 मिलियन टन कृषि और बागवानी उत्‍पादन होता है त‍था बागवानी उत्‍पादों का 30 प्रतिशत हिस्‍सा खराब हो जाता है। इसलिए इस प्रकार की क्षति से बचने के लिए आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की तत्‍काल आवश्‍यकता है। उत्‍पादों को हमारी अपनी सीमाओं के भीतर ही नहीं रखा जाना चाहिए और इसलिए भारत के कृषि उत्‍पादों के लिए अंतरराष्‍ट्रीय बाजारों की तलाश करने की आवश्‍यकता है। श्री प्रभु ने कहा कि हमें उत्‍पादन के दौरान ही गुणवत्‍ता मानदंडों और स्‍वास्‍थ्‍य मानदंडों पर विचार करना होगा। श्री प्रभु ने बताया कि कृषि को एक अन्‍य उद्योग के रूप में देखने की जरूरत है और इसकी सफलता के लिए सभी हितधारकों को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। उद्योगपतियों को भी कृषि के क्षेत्र में प्रवेश करना चाहिए, जिससे किसानों को लाभ मिलेगा और उनकी आय बढ़ेगी।

श्री सुरेश प्रभु ने बताया कि सऊदी अरब, ओमान, कुवैत और कतर तक कृषि एवं प्रसंस्‍कृत खाद्य उत्‍पादों के आयात के लिए शीत श्रृंखला और भंडारण जैसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए सऊदी अरब सरकार तैयार है।

महाराष्‍ट्र कृषि लागत और मूल्‍य आयोग के अध्‍यक्ष श्री पाशा पटेल, वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव श्री संतोष सारंगी, कृषि एवं प्रसंस्‍कृत खाद्य उत्‍पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के अध्‍यक्ष श्री पवन कुमार बोरठाकुर, महाराष्‍ट्र सरकार के कृषि आयुक्‍त श्री एसपी सिंह ने भी उपस्थित लोगों को संबोधित किया।

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