लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मत्स्य विकास मंत्री श्री इकबाल महमूद ने बताया कि थाई मांगुर मछलियों के पालन आखेट एवं बाजार में थाई मांगुर अथवा बिग हेड मछलियों की बिक्री प्रतिबंधित है। थाई मांगुर मछलियों का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है इसलिए इन्हें प्रतिबंधित किया गया है।
मत्स्य विकास मंत्री ने मत्स्य विशेषज्ञों एवं मत्स्य अधिकारियों को मत्स्य पालकों को मत्स्य पालन हेतु जागरूक करने के निर्देश दिए है। शासन के निर्देशानुसार मत्स्य विशेषज्ञों एवं अधिकारियों ने मत्स्य पालकों को उपयोगी सुझाव दिए है। उन्होंने बताया कि मछली पालन हेतु मत्स्य पालक/मछुआ समुदाय के व्यक्तियों के लिए जून माह में तालाब निर्माण का उपयुक्त समय है। जो किसान/मत्स्य पालक नये तालाब बनाना चाहते हैं या अपने तालाब का सुधार कार्य कराना चाहते हैं वे 20 जून तक निर्माण कार्य पूरा करा लें तथा आगामी मौसम में मत्स्य पालन की तैयारी करें। जिन मत्स्य पालकों के तालाबों में आवांछनीय मत्स्य प्रजातियां पाई जा रही हैं उनमंे बार बार जाल चलाकर मछलियों को निकाल लें एवं तालाब को गर्मी में सुखाने के पश्चात आगामी मौसम में मत्स्य पालन करें। ऐसे तालाब जिनमें पानी सूखने की सम्भावना नहीं हैं, उनमें अवांछनीय मछलियों के नियंत्रण हेतु 25 कु./हे. की दर से एक मीटर गहरे तालाब में महुआ की खली डाल दें। 24 घंटे में मछलियाँ सतह पर आ जायेंगी इन्हें बेच दें। महुआ की खली डालने के 15 दिन बाद तालाब तैयार हो जायेगा।
मत्स्य बीज उत्पादक अपने ब्रूड फिश को पूरक आहार शरीर भार के दो प्रतिशत की दर से प्रतिदिन खिलायंें साथ ही साथ विटामिन-ई युक्त आहार भी दें। नर मादा को यदि अभी तक अलग-अलग तालाबों में नही किया है तो शीघ्र कर लें। कतला, रोहू एवं नैन प्रजातियों में मेच्योरिटी आ गई है। तालाब का जलस्तर 5 से 6 फुट बनाये रखें। जिन मत्स्य बीज उत्पादकों ने अभी तक नर्सरियों को तैयार नहीं किया है वे शीघ्र नर्सरियों को तैयार कर लें। कतला, रोहू एवं नैन प्रजातिया उत्प्रेरित प्रजनन का समय आ गया है । हैचरी स्वामी मानसून के आगमन संबंधी पूर्वानुमान पर विशेष ध्यान दें। 20 जून से कतला, रोहू एवं नैन प्रजातियों का उत्प्रेरित प्रजनन करायें साथ ही आवश्यकतानुसार सिल्वर कार्प एवं ग्र्रास प्रजाजियों का उत्प्रेरित प्रजनन भी करायें।
निजी क्षेत्र की कुछ हैचरियों पर उत्प्रेरित प्रजनन के माध्यम से मत्स्य बीज का उत्पादन प्रारम्भ कर दिया गया है। इच्छुक मत्स्य पालक बीज उत्पादन की प्रक्रिया से जुडे़ हैं वे अपनी नर्सरी की तैयारी कर लें। थाई माँगुर मछली पालना प्रतिबंधित है इसको न पाला जाये।