लखनऊ: मत्स्य विशेषज्ञों ने मत्स्य पालकों को सुझाव दिए हैं कि जिन मत्स्य पालकों के तालाबों में अवांछनीय मत्स्य प्रजातियां पाई जा रही है उनमें बार-बार जाल चलाकर मछलियों को निकाल लें एवं मछलियों की बढ़ोत्तरी व स्वास्थ्य की जांच करते रहें।
जिन मत्स्य पालकों ने अभी तक चूने एवं खाद का प्रयोग नहीं किया है, उन्हें सलाह दी जाती है कि वे शीघ्र अपने तालाब में बुझा हुआ चूना 2.5 कुं0 प्रति हे0 की दर से एवं गोबर की खाद 1 टन/हे0 की दर से डालें एवं इनलेट/आउटलेट यदि चोक हों तो उन्हें साफ कर दें एवं इनलेट तथा आउटलेट पर जाली लगा दें तथा तालाब में पानी भरे। तालाब का जलस्तर 5 से 6 फुट बनाये रखें। कतला, रोहू, नैन प्रजातियों का उत्प्रेरित प्रजनन का यह उपयुक्त समय है। कतला, रोहू, नैन मत्स्य प्रजातियों का उत्प्रेरित प्रजनन करायें साथ ही आवश्यकतानुसार सिल्वर कार्प एवं ग्रास कार्प मत्स्य प्रजातियों का उत्प्रेरित प्रजनन भी करायें, निजी क्षेत्र की अधिकांश हैचरियों पर तथा उ0प्र0 मत्स्य विकास निगम की हैचरियों पर उत्प्रेरित प्रजनन के माध्यम से मत्स्य बीज का उत्पादन कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। निजी क्षेत्र की हैचरियों पर मत्स्य बीज उपलब्ध है। उ0प्र0 मत्स्य विकास निगम की हैचरियों पर मत्स्य बीज का वितरण कार्य प्रारम्भ है। इच्छुक मत्स्य पालक अपने तालाबों में मत्स्य बीज का संचय करायें। संचित मत्स्य बीज को शरीर भार का 1-2 प्रतिशत पूरक आहार दें। संचय की गई अंगुलिकाओं का पालन-पोषण करें तथा प्लवक की पर्याप्त मात्रा तालाबों में प्रत्येक माह बनाये रखें। मत्स्य बीज को 15 मिनट तक पानी में पैकेट बिना खोले रखें तत्पश्चात तालाब में पैकेट से मत्स्य बीज छोड़ें जिससे तापमान के अंतर से मत्स्य बीज को क्षति न हो, थाई माॅगुर मछली पालना प्रतिबन्धित है अतः इसको न पाला जाये।