लखनऊ: उत्तर प्रदेश शासन के निर्देशानुसार मत्स्य विकास विभाग के अधिकारियों/मत्स्य विशेषज्ञों द्वारा मत्स्य पालकों को माह सितम्बर में तालाबों/जलाशयों/पोखरों तथा नदियों के जलप्लावित क्षेत्रों में मछलियों की देखभाल उनके विकास तथा उन्हें रोगों से बचाव के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
मत्स्य पालक सितम्बर माह में मत्स्य बीज संचय के पूर्व पानी की जांच करायें, तालाब में 25-50 मिलीमीटर आकार के 10 हजार मत्स्य बीजों को संचित कराने का कार्य तथा तालाब के पानी में उपलब्ध प्राकृतिक भोजन की जांच करायें ताकि मत्स्य बीज सुरक्षित रहे और उनका संवर्धन हो सके। मत्स्य पालक गोबर की खाद के प्रयोग के 15 दिन बाद सामान्यतः 49 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर की दर से एन0पी0के0 खादांे -यूरिया 20 क्रिग्रा0, सिंगल सुपर फास्फेट-25 किग्रा0, म्यूरेट आफ पोटाश 4 किग्रा0 का प्रयोग मछली वाले तालाबों में करें जिससे मत्स्य उत्पादन अधिक होगा। मछली पालक एन0पी0के0 खादों के प्रयोग के 15 दिन के बाद 10-20 कुन्तल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद का प्रयोग करें। मत्स्य अंगुलिकाओं के भार का 1-2 प्रतिशत की दर से प्रतिदिन पूरक आहार का प्रयोग करें।