लखनऊ: उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों तथा अधिकारियों ने मत्स्य, रेशम पालन तथा वानिकी हेतु किसानों मत्स्य पालकों को उपयोगी सुझाव दिये हैं
जो निम्नवत हैः-मत्स्य पालन हेतु तालाब का जलस्तर 5 से 6 फुट बनाये रखें। कतला, रोहू, नैन प्रजातियों का उत्प्रेरित प्रजनन का सह उपयुक्त समय है। कतला, पोदू नैन मत्स्य प्रजातियों का उत्प्रेरित प्रजनन कराये साथ ही आवश्यकतानुसार सिल्वर कार्प एवं ग्रास कार्प मत्स्य प्रजातियों का उत्प्रेरित प्रजनन भी करायें। निजी क्षेत्र की कुछ हैचरियों पर उत्प्रेरित प्रजनन के मध्यम से मत्स्य बीज का उत्पादन किया जा रहा है अतः इच्छुक मत्स्य पालक अपने तालाबों में मत्स्य बीज का संचय करायें। मत्स्य पालन हेतु तालाबों की तैयारी यथाशीघ्र कर लें।
निजी क्षेत्र की अधिकांश हैचरियांे पर तथा उ0प्र0 मत्स्य विकास निगम की हैचरियों पर उत्प्रेरित प्रजनन के माध्यम से मत्स्य बीज का उत्पादन कार्य प्रारम्भ कर दिया गया हैं। निजी क्षेत्र की हैचरियों पर मत्स्य बीज उपलब्ध है। उ0प्र0 मत्स्य विकास निगम की हैचरियों से 11 जुलाई से मत्स्य बीज का वितरण कार्य प्रारम्भ किया जायेगा। इच्छुक मत्स्य पालक अपने तालाबों में मत्स्य बीज का संचय करायें। संचित मत्स्य बीज को शरीर भार का 1-2 प्रतिशत पूरक आहार दें।
रेशम पालन हेतु शहतूती रेशम फार्मों में ट्रीमिंग करके बाटम प्रूनिंग कार्य प्रारम्भ करें । शहतूत के पौधों के खेत की निराई गुड़ाई करके खरपतवार निकाल दें। नये क्षेत्र में वृक्षारोपण वर्षा होने पर प्रारम्भ कर दें। अरण्डी उत्पादक उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर तैयार की गयी भूमि में अरण्डी की बुवाई करें। अरण्डी रेशम कीटपालन के इच्छुक कृषक अपने नजदीकी रेशम अधिकारी/प्रभारी से सम्पर्क कर जानकारी प्राप्त कर लें। वानिकी कार्यक्रम के अन्तर्गत पौधशाला में आम, गुलमोहर, महुआ, कटहल, जामुन, कंजी, नीम आदि के बीजों की बुवाई शीघ्र समाप्त करें।
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