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मछली पालन-रोजीरोटी का सरल साधन, मत्स्य पालकों को अनुदान की सुविधा

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने रोजीरोटी के सरल साधन-मछली पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने हेतु ठोस कदम उठाये है। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने हेतु प्रदेश के सभी जनपदों में मत्स्य पालक विकास अभिकरण स्थापित किये गये है जिनका ग्रामीण व्यक्तियों। मछुआ समुदाय के लोगों तथा मत्स्य पालक कृषकों की समृद्धि और उनके सर्वांगीण विकास में विशेष योगदान है। बेरोजगारों के लिए मत्स्य पालन हेतु तालाब सुधार नये तालाबों के निर्माण एवं उत्पादन निवेशों के लिए बैकों से ऋण तथा अनुदान मछली के बीजों की आपूर्ति, प्रशिक्षण आदि सुविधायें उपलब्ध करायी जा रही है जिससे उन्हें आसानी से रोजी-रोटी मिल सके।    यह जानकारी प्रदेश के मत्स्य विकास मंत्री श्री इकबाल महमूद ने दी।उन्हांेने बताया कि एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के तालाब में मछली पालन हेतु मत्स्य पालक विकास अभिकरण द्वारा हर संभव सुविधायें एवं आर्थिक सहायता बैकों के माध्यम से ऋण के रूप में तथा अनुदान के रूप में उपलब्ध करायी जा रही है। मत्स्य पालक। किसान तथा मछली पालन से जुड़े व्यक्ति जनपद के मुख्य कार्यअधिकारी मत्स्य पालक विकास अभिकरण से सम्पर्क कर सकते है।
श्री इकबाल महमूद ने बताया कि पुराने तालाब के सुधार के लिए रू0 75.000/-की सीमा तक बैंक ऋण उपलब्ध कराया जाता है जिस पर अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्तियों को छोड़कर सभी मत्स्य पालों के लिए 20 प्रतिशत अर्थात रू0 15000/-तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के मत्स्य पालकों के लिए 25 प्रतिशत अर्थात् रू0 18,750/-तक शासकीय अनुदान दिया जाता है। निजी भूमि पर नये तालाब के निर्माण हेतु जिसमें उपयुक्त जाली सहित इनलेट व आउटलेट तथ शैलो ट्यूबवेल आदि व्यवस्थायें सम्मिलित हैं, रू0 3,00,000/- प्रति हे0 तक बैंक ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इस ऋण पर सामान्य श्रेणी के व्यक्तियों के लिए 20 प्रतिशत- अर्थात् रू0 60,000/-एवं अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्तियों के लिए 25 प्रतिशत अर्थात् रू0 75,000 की सीमा तक शासकीय अनुदान सुलभ कराया जाता है।
मत्स्य विकास मंत्री ने बताया कि उत्पादन निवेशों हेतु सुविधा तालाब सुधार अथवा निर्माण के बाद मत्स्य पालन प्रारम्भ करने के लिये उर्वरक मत्स्य बीज पूरक आहार आदि आवश्यक हैं। निर्धारित मात्रा में (गोबर की खाद तथा एन0पी0के0 खाद) के प्रयोग से तालाब में उपयुक्त जलीय वातावरण और प्लांक्टान जोकि मछली का प्राकृतिक भोजन है, उत्पन्न होता है। तालाब से अधिक मत्स्य उत्पादन हेतु एक ही वातावरण में रहकर एक दूसरे को क्षति न पहुंचाते हुये तेजी से बढ़ने वाली कार्प मछलियों (कतला, रोहू नैन, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प व कामन कार्प) के संचित बीज की बढ़ोत्तरी के लिए पूरक आहार की व्यवस्था आवश्यक है। मत्स्य पालन प्रारम्भ करने के लिय पहले वर्ष में उत्पादन निवेशों के लिये रू0 50,000 प्रति हे0 तक बैंक ऋण उपलब्ध कराया जाता है जिस पर सामान्य श्रेणी के व्यक्तियों के लिये 20 प्रतिशत अर्थात् रू0 10,000/-व अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्तियों के लिये 25 प्रतिशत अर्थात् रू0 12,500/- तक अनुदान दिया जाता है।
इटीग्रेटेड फिश फार्मिग- मत्स्य विकास मंत्री ने बताया कि योजना के तहत मछली के साथ-साथ बतख, शूकर आदि के पालन (इंटीग्रेटेड फिश फार्मिग) से आय में और भी वृद्वि सम्भव हो सकती है। इंटीग्रेटेड फिश फार्मिग से सम्बन्धित रू0 1,50,000/-प्रति हे0 परियोजना लागत पर सामान्य पर 50 प्रतिशत अर्थात् रू0 75,000/- अनुदान दिया जाता है।
मत्स्य विकास मंत्री ने बताया कि- उत्तम मत्स्य प्रजातियों का शुद्ध बीज, मत्स्य पालन की आधारभूत आवश्यकता है। उ0प्र0 मत्स्य विकास निगम की हैचरियों तथा मत्स्य विभाग के प्रक्षेत्रों पर उत्पादित बीज की आपूर्ति मत्स्य पालकों को आक्सीजन पैकिंग में तालाब तक सरकारी दरों पर की जाती है। मत्स्य पालक निजी क्षेत्र में स्थापित मिनी हैचरियों से भी शुद्ध मत्स्य बीज प्राप्त कर सकते हंै। उन्होेंने बताया की मिट्टी-पानी की जांच सुविधा की व्यवस्था है- मछली की अधिक पैदावार के लिये तालाब की मिट्टी व पानी का उपयुक्त होना परम आवश्यक है। मंडल स्तर पर मत्स्य विभाग की प्रयोगशालाओं द्वारा मत्स्य के तालाबों की मिट्टी-पानी की निःशुल्क जांच की जाती है तथा वैज्ञानिक विधि से मत्स्य पालन करने के लिये तकनीकी सलाह मत्स्य पालकों को दी जाती है।

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