लखनऊ: मत्स्य पालन से प्रतिवर्ष 75 हजार रुपये की आय प्राप्त की जा सकती है। मत्स्य पालकों की जानकारी हेतु मत्स्य पालन के प्रति हेक्टेयर वार्षिक आय-व्यय विवरण निम्नवत् हैः-
मत्स्य पालन पर वार्षिक व्यय तालाब पर किराया या पट्टे का लागन 1000 रु0, पानी की व्यवस्था 5000 रु0, जलीय पौधों व अवांछनीय मछलियों की सफाई 1500 रु0, चूने का प्रयोग (250 कि0ग्रा0) 1000 रु0, गोबर की खाद (10 टन), 2000 रु0, मत्स्य बीज व यातायात पर व्यय 1200 रु0, एन0पी0के0 खाद का प्रयोग (200 कि0ग्रा0) 2000 रु0, पूरक आहार पर व्यय (10 कुन्टल सरसों की खली व 10 कुन्टल चावल का कना) 12000 रु0, मछलियों की देखभाल 3000 रु0, अन्य विविध व्यय 1300 रु0 अर्थात कुल व्यय 30000 रु0 है।
मत्स्य उत्पादन व प्रत्याशित आय 3000 कि0ग्रा0 मत्स्य उत्पादन के 35 रु0, प्रति कि0ग्रा0 की दर से विक्रय स्वरूप वार्षिक आय (प्रदेश के तालाब औसत मत्स्य उत्पादकता 2550 कि0ग्रा0 हे0/वर्ष है परन्तु कई स्थानों पर मत्स्य पालकों द्वारा 4000 कि0ग्रा0 /हे0/वर्ष से भी अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है। वैज्ञानिक विधि से मत्स्य पालन के फलस्वरूप 3000 कि0ग्रा0 /हे0/वर्ष उत्पादन सुगमता से संभव है)।
शुद्ध लाभ वार्षिक आय-व्यय 10,5000-30,000, 75000 रु0, बैंक ऋण किश्त की अदायगी पर व्यय 20,000 रु0, मत्स्य पालक के जीविकोपार्जन हेतु उपलब्ध शुद्ध धनराशि 55,000 रु0 है। इस प्रकार एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के पुराने तालाब में सुधारोपरान्त आवश्यक व्यवस्थायें अपनाते हुए मछली पालन करने से खर्चों तथा बैंक ऋण की किश्त कि भुगतान को निकाल कर एक वर्ष में रु0 55,000 की शुद्ध धनराशि (मासिक 4,583 रु0) प्राप्त किया जाना सम्भव है जो जीविकोपार्जन में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है। मछली पालन निश्चित ही रोजी-रोटी का सरल साधन है। इसमें लागत कम और आय अधिक है।
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