लखनऊ: पांच सूत्री मांगों को लेकर एक बार फिर रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने चक्का जाम की धमकी भरी नोटिस निगम प्रबंधन को दी है। कर्मचारी मांगों को लेकर दो बार हुए समझौते के बावजूद आज तक कोई निर्णय नहीं लिया है। ऐसे में परिषद अब आर-पार की लड़ाई के मूड में है। आगामी चार जुलाई की मध्यरात्रि से चक्का जाम करने की घोषणा की है।
परिषद के महामंत्री गिरीश मिश्र ने बताया कि कर्मचारी मुद्दे पर दो बार समझौता हुआ। बावजूद आज तक शासन स्तर पर सातवां वेतनमान देने की मंजूरी नहीं मिली। जबकि परिवहन निगम की बोर्ड बैठक में सातवें वेतनमान और वेतन विसंगति दूर करने के प्रस्ताव पर मंजूरी मिल गई है। फिर भी शासन स्तर पर कर्मचारी हित में निर्णय नहीं लिया जा रहा है।
यही वजह है कि बीते दो बार आठ दिसंबर 2017 व नौ अप्रैल 2018 को दिए गए आंदोलन की नोटिस समझौते के बाद वापस ले लिया गया था। इस बार समझौता नहीं होगा बल्कि बसों चक्का जाम करके आर-पार की लड़ाई लड़ते हुए कर्मचारियों को उनका हक दिलाया जाएगा। शनिवार को चारबाग बस अड्डे पर संयुक्त परिषद ने बैठक बुलाई थी। जिसमें प्रदेश भर में कर्मचारियों को एक जुट करते हुए चक्का जाम सफल बनाने की रणनीति तय की गई।
इस मांगों को लेकर हुए था समझौता
सातवें वेतनमान को एक जनवरी 2016 से लागू किया जाना। वेतन विसंगतियों को दूर करके बकाए एरियर का भुगतान करना। संविदा चालक परिचालकों को फिक्स वेतन का भुगतान करना। मृतक आश्रितों की नियमित नियुक्ति करना।
काम बंद-चक्का जाम दो दिन रहेगा
इस बार परिवहन निगम प्रबंधन को दिए गए नोटिस में दो दिन कार्य बहिष्कार करने की चेतावनी दी गई है। नोटिस में यह भी कहा गया है कि प्रदेशव्यापी काम बंद-चक्का जाम 48 घंटे लगातार रहेगा। इसके पहले शासन स्तर पर सकरात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो प्रदेश भर में आंदोलन होगा।