नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने यहां महारत्न एवं नवरत्न केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई) के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की और उनके अब तक के पूंजीगत व्यय एवं इस वित्तीय वर्ष की अगली दो तिमाहियों के लिए योजनाओं की समीक्षा की। यह बैठक आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए वित्त मंत्री द्वारा किए जा रहे विभिन्न उपायों और विभिन्न हितधारकों के साथ लगातार की जा रही बैठकों का हिस्सा है। इस बैठक में वित्त सचिव श्री राजीव कुमार, आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव श्री अतनु चक्रवर्ती, व्यय सचिव श्री जी सी मुर्मू और 32 सीपीएसई के प्रमुखों / प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई) और एनएचएआई एवं भारतीय रेल जैसे विभागीय अंडरटेकिंग्स (डीयू) द्वारा किए जाने वाले कुल पूंजीगत व्यय अर्थव्यवस्था में अचल संपत्तियों के सृजन में उल्लेखनीय योगदान करते हैं।
देश के जीडीपी के प्रतिशत के रूप में सार्वजनिक खरीद 20% से 22% के बीच अनुमानित है। करीब 2.7 ट्रिलियन की भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह प्रति वर्ष 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सार्वजनिक खरीद के बराबर है। सीपीएसई वस्तुओं, सेवाओं एवं कार्यों की सार्वजनिक खरीद में प्रमुख योगदान करते हैं।
सरकार ने आधारित मूल्यांकन लागू किया है और परिचालन संबंधी निर्णय लेने के लिए महारत्न एवं नवरत्न कंपनियों के बोर्ड को भी सशक्त किया है। सरकार चाहती है कि सीपीएसई सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अपना योगदान दोगुना करे और वे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के बाद राजस्व में योगदान करने वाला “तीसरा प्रमुख स्रोत” बनें। सीपीएसई को देश के आयात बिल को कम करने और 2022 तक भारत की वैश्विक रणनीतिक पहुंच का विस्तार करने के लिए प्रयास करना चाहिए।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान सार्वजनिक खरीद के तौर तरीकों में एक महत्वपूर्ण बदलाव के तहत सरकार ने गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) और सेंट्रल पब्लिक प्रोक्योरमेंट पोर्टल की स्थापना की है। इससे खरीद को पूरी तरह कागज रहित और नकदी रहित किया गया है। साथ ही यह न्यूनतम मानव दखल के साथ सिस्टम द्वारा परिचालित ई-मार्केट है। ये प्लेटफॉर्म न केवल सार्वजनिक खरीद को कुशल एवं जवाबदेह बनाने में मदद करते हैं बल्कि संसाधन दक्षता को भी बढ़ाते हैं।
प्रतिभागी सीपीएसई ने वित्त मंत्री के समक्ष अगस्त 2019 तक के अपने पूंजीगत व्यय को प्रस्तुत किया और उन्हें अगली दो तिमाहियों के लिए अपनी योजनाओं के बारे में बताया। ओएनजीसी ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 32,921 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना बनाई है। अगस्त 2019 तक इसका पूंजीगत व्यय 8,777 करोड़ रुपये था जो कुल नियोजित पूंजीगत व्यय का 26.66% था। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने 25,083 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना बनाई है जिसमें से 8,173 करोड़ रुपये (32%) खर्च किए जा चुके हैं। एनटीपीसी ने 20,000 करोड़ रुपये की योजना में से 8,490 करोड़ रुपये (42%) का पूंजीगत खर्च किया है। बैठक में भाग लेने वाले सीपीएसई ने अगली तिमाही के लिए 50,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना बनाई है।
वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि अगली दो तिमाहियों में पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने की जरूरत है। इसलिए पूंजीगत व्यय की योजना सही तरीके से बनाने और उसे जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करने की जरूरत है। वित्त मंत्रालय नियमित तौर पर पूंजीगत व्यय की निगरानी करेगा। सीपीएसई को यह सुनिश्चित करना होगा कि नियमित भुगतान शीघ्रता से पूरा हो जाए क्योंकि यह निवेश चक्र को बढ़ाता है और वे भुगतान की स्थिति को ट्रैक करने में हितधारकों को समर्थ बनाने के लिए ई-बिलिंग पोर्टल स्थापित करें। एमएसएमई के बकाये के भुगतान के लिए अवश्य प्रयास किए जाने चाहिए और एमएसएमई विभाग के समाधान पोर्टल पर मामलों को निपटाना चाहिए।