केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज राजनीतिक नेतृत्व, नौकरशाही और उद्योग नेतृत्व से अनुरोध किया कि वे अनुपालन बोझ को कम करने के लिए सादगी के सिद्धांतों व सेवाओं के समय पर वितरण से संबंधित अपनी पहल पर ध्यान केंद्रित करें।
उन्होंने आज नई दिल्ली में ‘अनुपालन बोझ को कम करने के लिए सुधारों के अगले चरण पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला’ के समापन सत्र को संबोधित किया। मंत्री ने कहा कि इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि अनुपालन बोझ को कम करने और जीवन जीने व व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देने के लिए केंद्र के लागू किए गए पिछले अभ्यासों में 25,000 से अधिक अनुपालन कम किए गए हैं।
तकनीक की अनंत संभावनाओं पर श्री गोयल ने कहा कि प्रौद्योगिकी की सहायता करनी चाहिए व जीवन जीने व व्यापार करने में सहजता को बढ़ावा देने के लिए पहल करने के साथ अनुपालन प्रणाली को और ज्यादा जटिल नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने भारत के सामने आने वाली समस्याओं के स्वदेशी समाधान को विकसित करने की जरूरत का भी उल्लेख किया।
मंत्री ने आगे नीति निर्माताओं से सेवाओं के वितरण की योजना बनाते समय, अगर इसमें तकनीक शामिल है तो आय, साक्षरता स्तर और बुनियादी ढांचे में मौजूद खाई, विशेष रूप से कनेक्टिविटी में व्यापक असमानता पर विचार करने के लिए कहा।
निगरानी प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाने की जरूरत पर श्री गोयल ने कहा कि नीतियों और कार्यक्रमों की निगरानी उस अंतर्निहित समस्या से अधिक बोझिल नहीं होनी चाहिए, जिसके समाधान की पहल की जा रही थी।
श्री गोयल ने कहा कि अनुपालन जरूरतों को डिजाइन करते समय सभी हितधारकों, विशेष रूप से उपयोगकर्ताओं की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखने के साथ-साथ जमीनी वास्तविकता पर भी हमेशा विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने नीति निर्माताओं से उन अनुपालनों के विवरण को पता लगाने के लिए क्राउड सोर्सिंग का उपयोग करने का अनुरोध किया, जो बोझिल साबित हो रहे थे और उन्हें युक्तिसंगत बनाने पर काम किया गया।
उन्होंने डिजि लॉकर और राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली जैसी विभिन्न सेवाओं को संयोजित करने की जरूरत का भी उल्लेख किया। मंत्री ने कहा कि इससे जब स्वीकृति व अनुमति के लिए आवेदन करने की बात हो तो दोहराए जाने वाली प्रक्रियाओं को युक्तिसंगत बनाया जा सके और खाई व अतिरेकताओं को समाप्त किया जा सके। उन्होंने व्यापार और व्यक्तियों के लिए आधार, पैन और टैन इत्यादि जैसे मौजूदा कई पहचान संख्याओं को मिलाकर एक एकल पहचान संख्या बनाने का आह्वाहन किया, जिससे सेवाओं का वितरण आसानी और तेजी से हो सके।
वैधानिक मापनविद्या को गैर-अपराधी बनाने की जरूरत पर मंत्री ने उद्योग क्षेत्र के प्रतिभागियों से प्रक्रियाओं में सुधार और उन्नति की मांग करते रहने का अनुरोध किया। उन्होंने स्व-सत्यापन, स्व-प्रमाणन और स्व-नियमन को बढ़ावा देने का भी आह्वाहन किया। उन्होंने आगे कहा कि अब उचित समय आ गया है कि नागरिकों की ईमानदारी पर भरोसा करके अनुपालन प्रणाली को बनाई जाए।
भारी सुधारों का आह्वाहन करते हुए मंत्री ने कहा कि नए संरचनाओं को लोगों से बांधना नहीं चाहिए। हितधारकों के बीच सूचना की विषमता के समाधान की जरूरत को रेखांकित करते हुए, श्री गोयल ने अनुपालन बोझ को कम करने में अब तक प्राप्त लाभ को एकीकृत करने का आह्वाहन किया।
पूरे दिन चलने वाली इस कार्यशाला को तीन समानांतर सत्रों में बांटा गया था। इनमें पहले सत्र की विषयवस्तु “सरकारी विभागों के बीच व्यवधान को समाप्त करना और तालमेल बढ़ाना” था। वहीं, दूसरा सत्र “नागरिक सेवाओं के कुशल वितरण के लिए राष्ट्रीय एकल खिड़की की कार्यशीलता” की विषयवस्तु पर आधारित था। सबसे आखिर में तीसरे सत्र को ‘प्रभावी शिकायत निवारण’ की विषयवस्तु पर आयोजित किया गया।
इस कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव श्री अनुराग जैन ने कहा कि शिकायत निवारण प्रणाली को मानवीय और संवेदनशील होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जिन मामलों में नियमों और प्रक्रियात्मक पहलुओं के कारण शिकायतों का पूरी तरह से समाधान नहीं किया जा सकता है, उनके बारे में शिकायतकर्ता को संवेदनशील तरीके से अवगत कराया जाना चाहिए। सरकारी विभाग मानवीयता की भावना के साथ वास्तविक शिकायतों को संभाल सकते हैं।
इस कार्यशाला में केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों/केंद्रशासित की व्यापक भागीदारी देखी गई। इसमें विचार-विमर्श के दौरान सामने आए विचारों को श्री पीयूष गोयल और कैबिनेट सचिव श्री राजीव गौबा के सामने रखा गया।