देहरादून:– यह वह है जिसे हमारे देश में आध्यात्मिक संस्थानों के क्रम-विकास में एक नये चरण की शुरुआत के रूप में वर्णित किया जा सकता है। वन्दनीय राष्ट्र संत श्री टुकडोजी महाराज की संस्था (जिसे श्री गुरुदेव सेवा मण्डल भी कहा जाता है) के अनुयायियों ने घोषणा की है कि वे हार्टफुलनेस की पद्धति को अपनाएँगे। यह घोषणा टुकडोजी महाराज की संस्था के मुख्य पदाधिकारियों द्वारा हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक दाजी की उपस्थिति में हार्टफुलनेस के वैश्विक मुख्यालय, कान्हा शान्तिवनम् में की गई थी। इस अवसर के स्मृतिस्वरूप कान्हा शान्तिवनम् के पावन परिसर में श्री टुकडोजी महाराज की प्रतिमा का उद्घाटन किया गया जिसमें उनकी शिक्षाएँ भी अंकित थीं। इस अवसर पर श्री टुकडोजी महाराज की संस्था के पदाधिकारियों की टिप्पणी
अखिल भारतीय श्री गुरुदेव सेवा मण्डल के अध्यक्ष प्रकाश वाघ ने इस सहयोग के बारे में कहा, ‘‘हार्टफुलनेस और दाजी की शिक्षाएँ उन शिक्षाओं से मेल खाती हैं जो हमने महाराज जी से सीखीं और हम दाजी की उपस्थिति में ध्यान के अभ्यास के जरिये हर रोज इन शिक्षाओं का अनुभव करने के तरीके सीखने में सम्मानित महसूस करते हैं। दाजी ने महराज जी को जो सम्मान और आदर दिया है उसने हमारे दिलों को स्पर्श कर लिया है और हमें लगता है कि रूपान्तरण की ऐसी शिक्षाएँ एक साथ मिलकर दुनिया भर के लाखों लोगों तक पहुँचेगी।’’
जबकि महासचिव श्री जनार्दन पंत बूते ने कहा, ‘‘श्री टुकडोजी महाराज ने अपने जीवनकाल में कहा था कि ‘यदि भविष्य में आपको एक गुरुध्मार्गदर्शक मिले जिसके विचार हमारी शिक्षाओं से मेल खाते हों या उससे बेहतर हों तो कृपया उस अवसर को अपनाकर एक साथ काम करते हुए आगे बढ़ें’ और यह अवसर वही है।’’ उन्होंने कहा कि वे अब 82 वर्ष के हैं और श्री टुकडोजी महाराज ने जो लिखा था वे हमेशा उस पर आश्चर्य किया करते थे कि उनकी शिक्षाएँ संसार भर में पहुँच जाएँगी, लेकिन जब वे दाजी से मिले और सबको शामिल करने के उनके उदात्त दृष्टिकोण से परिचित हुए तब वे आश्चर्यचकित हो गए कि वे श्रद्धेय दाजी ही हैं जो सभी की भलाई के लिए यह महान काम कर रहे हैं।’’
हार्टफुलनेस ध्यान का अभ्यास धीरे-धीरे संसार भर में महत्ता हासिल कर रहा है और पिछले एक साल में ध्यानोत्सव (वह रूपान्तरकारी दूरस्थ पहुँच कार्यक्रम जो महानगर, उपमहानगर और गाँवों में हुआ) के द्वारा लाखों भारतीयों तक पहुँचा। भारत की चारों दिशाओं में 175 से भी अधिक ध्यानोत्सवों के कारण सैकड़ो गाँवों ने हार्टफुलनेस को अपनाया और लाखों लोग इसके अभ्यास से लाभान्वित हो रहे हैं। वर्तमान विकास के साथ मानवीय रूपान्तरण को हासिल करने और उसे गति प्रदान करने में एक मूक परिवर्तनकर्ता के रूप में दाजी की भूमिका सुदृढ़ हो रही है।
नवम्बर 2019 में अन्तर्राष्ट्रीय योग सम्मलेन, मैसूर में श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए दाजी ने मानवजाति के उत्थान के लिए एक साथ काम करने हेतु सभी आध्यात्मिक संस्थाओं का आह्वान किया। हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक, दाजी ने कहा, ‘‘दो सबसे पुरानी आध्यात्मिक संस्थाओं के साथ आने की यह एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। वे सभी संस्थाएँ जो समाज के उत्थान की ओर कार्यरत हैं वे एक-दूसरे के सकारात्मक पहलुओं से लाभान्वित हो सकती हैं और मानवजाति की भलाई की प्रक्रिया को तेज कर सकती हैं। आज के अत्यधिक अस्थिर संसार में, सकारात्मक शक्तियों का साथ आना ही समय की माँग है और कई संस्थाओं को एक समान उद्देश्य हेतु मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करना ही इसका पहला कदम है।’’
दाजी ने आगे कहा, ‘‘हार्टफुलनेस संस्थान के वैश्विक मुख्यालय, कान्हा शान्तिवनम् में स्थापित एक ग्रेनाइट फलक पर श्री तुकडोजी महाराज की शिक्षाएँ खुदवाई जाएँगी और हार्टफुलनेस के अभ्यासी इन शिक्षाओं से लाभान्वित हो सकेंगे। यह आवश्यक था कि उस महान मार्गदर्शक को श्रद्धांजलि स्वरूप उनकी शिक्षाएँ और अधिक करोड़ों लोगों तक पहुँचे। हार्टफुलनेस में हम सौभाग्यशाली हैं कि ग्रेनाइट पर अंकित होकर उनकी शिक्षाओं ने एक स्थायी स्थान पा लिया है और यह भावी दशकों में कान्हा आने वाले उन सभी अभ्यासियों के जीवन को स्पर्श करेंगी।’’
तुकडोजी महाराज (30 अप्रैल 1909 – 11 अक्टूबर 1968) एक आध्यात्मिक संत थे। वे महाराष्ट्र, भारत से थे। उनका जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले के यवली गाँव में सन् 1909 में हुआ। तुकडोजी महाराज महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक सुधार कार्यों में भाग लिया करते थे और वे एक श्रद्धेय आध्यात्मिक मार्गदर्शक थे। उनकी ग्रामगीता, जो गाँव के विकास के लिए एक आलेख रूपी माध्यम था, उसने गाँवों को विकसित करने की अपनी अंतर्दृष्टि और सरलता के लिये बहुत सारी ख्याति पाई। उनके द्वारा आरम्भ किए गए विकास कार्यक्रमों ने उनके मरणोपरान्त भी प्रभावी रूप से कार्य करना जारी रखा। पूरे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में, तेलंगाना और गुजरात में कई लोग इनकी शिक्षाओं को मानते हैं।
श्री तुकडोजी महाराज ने अपने अनुयायियों को ध्यान और अन्य आध्यात्मिक अभ्यासों के बारे में स्पष्ट रूप से निर्देश दिए थे। उनकी सलाह को प्रार्थनाओं और भजन के रूप में महाराष्ट्र और आस-पास के क्षेत्रों के लाखों लोगों द्वारा गाया जाता था लेकिन इसी का सच्चा अभ्यास हार्टफुलनेस में भी मिलता है। श्री तुकडोजी महाराज संस्था के हजारों जिज्ञासुओं ने हार्टफुलनेस अभ्यासों को करना और देश के विभिन्न स्थानों में हार्टफुलनेस संस्थान के सप्ताहिक सामूहिक ध्यान सत्रों में शामिल होना आरम्भ कर दिया है।
हार्टफुलनेस ध्यान (ूूू.ीमंतजनिसदमेे.वतह) आत्मिक-विकास के लिए अभ्यासों का एक सेट है जो कि हमें अपने इस बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहे संसार में आंतरिक शान्ति और स्थिरता पाने में सहायता करता है। हार्टफुलनेस निरूशुल्क प्रस्तुत किया जाता है। इसमें कोई हठधर्मिता नहीं है। जीवन के सभी क्षेत्रों, संस्कृतियों, धार्मिक मान्यताओं और आर्थिक स्तर के लोग इसके अभ्यास को आसानी से अपना सकते हैं। बस उनकी आयु पन्द्रह वर्ष से अधिक होनी चाहिए। हार्टफुलनेस का अभ्यास करने के लिए एकमात्र योग्यता है – बेहतर बनने और संतुलित जीवन जीने की इच्छा।
हार्टफुलनेस के बारे में – हार्टफुलनेस ध्यान की राजयोग प्रणाली है, जिसे ‘सहज मार्ग’ भी कहते हैं। इसका आविर्भाव बीसवीं सदी की शुरुआत में हुआ और भारत में औपचारिक रूप से सन् 1945 में श्री रामचन्द्र मिशन के नाम से इसकी स्थापना हुई। हार्टफुलनेस ध्यान आत्मिक-विकास के लिए अभ्यासों का एक सेट है जो कि हमें अपने इस बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहे संसार में आंतरिक शान्ति और स्थिरता पाने में सहायता करता है। जीवन के सभी क्षेत्रों, संस्कृतियों, धार्मिक मान्यताओं और आर्थिक स्तर के लोग इसके अभ्यास को आसानी से अपना सकते हैं। बस उनकी आयु पन्द्रह वर्ष से अधिक होनी चाहिए। हाल ही में चल रहे हार्टफुलनेस ध्यान के प्रशिक्षण को विश्वभर के हजारों स्कूलों और कॉलेजों में पाया जा सकता है, जहाँ लगभग 100,000 पेशेवर लोग कॉर्पोरेट, गैर-सरकारी और सरकारी ऑफिसों में ध्यान कर रहे हैं। 5000 से भी अधिक हार्टफुलनेस केन्द्र, जिन्हें हार्टस्पॉटस् कहते हैं, उन्हें 130 देशों में कई हजारों प्रमाणित स्वयंसेवी ट्रेनरों द्वारा सहयोग दिया जाता है।