देहरादून: राज्य में शीघ्र गठित होगी संस्कृति एवं कला परिषद।
बोली भाषा संस्थान का शीघ्र तैयार होगा ढ़ांचा।स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रगीत के साथ ही गाया जायेगा राज्य गीत।
जागर महाविद्यालय की भी होगी शीघ्र स्थापना।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश की बोली, भाषा, लोक कला, लोक संस्कृति के संवर्धन के लिए प्रभावी प्रयासों की जरूरत बतायी है। उन्होंने बोली भाषा संस्थान की शीघ्र स्थापना के लिये इसके ढ़ांचे को शीघ्र अंतिम रूप देने के साथ ही इस क्षेत्र से जुड़े लोगो का इसमें सहयोग लेने को कहा। उन्होंने प्रदेश में कला संस्कृति परिषद के गठन के भी निर्देश दिये। इसमें साहित्य, कला एवं संस्कृति से जुडे लोगों को शामिल किया जाए।
शनिवार को बीजापुर हाउस में संस्कृति विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने बोली, भाषा संस्थान की स्थापना में शीघ्रता के निर्देश दिये। इसके लिये आवश्यक पदों के सृजन आदि का प्रस्ताव भी शीघ्र कैबिनेट में लाने के निर्देश उन्होंने दिए। उन्होंने कहा कि राज्य की विलुप्त हो रही बोली, भाषा को संरक्षित किया जाना जरूरी है। अन्यथा इनका विलुप्त होने का भय है। राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने पर भी उन्होंने बल दिया। उन्होने जागर महाविद्यालय की स्थापना मे भी तेजी लाने को कहा तथा इसमें परम्परागत जागर गायको को सहयोगी बनाने को कहा ताकि जागर की परम्परागत पहचान बनी रह सके।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में राष्ट्रगीत के साथ ही राज्य गीत को भी शामिल किया जाए। दो मिनट के इस राज्य गीत को शीघ्र संगीतबद्ध कर इसे आकर्षक धुन प्रदान की जाय। उन्होंने निर्देश दिए कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राज्य की सांस्कृतिक विविधता को पहचान दिलाने के लिए कुमाऊनी, गढ़वाली, जौनसारी के साथ ही रॅ संस्था, रवांई आदि क्षेत्रों के लोक संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किये जाए।
इस अवसर पर सचिव संस्कृति शैलेश बगोली, निदेशक संस्कृति बीना भट्ट, प्रसिद्ध लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी आदि उपस्थित थे।
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