देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पेयजल विभाग की समीक्षा करते हुए जल निगम एवं संस्थान के अधिकारियों को दो दिन के अन्दर प्रदेश की पेयजल आपूर्ति व्यवस्था को दुरस्त करने के निर्देश दिये है।
उन्होने कहा कि संसाधनो के लिये आवश्यक वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के बाद भी पेयजल की सुचारू आपूर्ति ने होना खेद जनक है।
बुद्धवार को बीजापुर अतिथि गृह में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में उन्होने जल वितरण व्यवस्था में अविल्म्ब सुधार लाने तथा इस सम्बंध में व्याप्त जल असन्तोष को दूर करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता की सुविधा के प्रति विभागीय अधिकारी अपनी जिम्मेदारी समझे, दोनो विभाग एक दूसरे पर समस्या टालने के बजाय आपसी समन्वय से कार्य करे।
उन्होने पेयजल लाईन को ठीक करने तथा उपकरणों की मरम्मत आदि क लिये तात्कालिक रूप में 2 करोड़ की धनराशि स्वीकृत करने के निर्देश दिये।
उन्होने ट्यूबेलो पर आवश्यकतानुसार जनरेटर व स्टेबलाइजार की उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये तत्काल जलापूर्ति सभी स्थलों पर निरन्तर रूप में सुनिश्चित हो सकेइसके लिये तीन माह के लिये यह कार्य आउटसोर्स से भी किया जाय। उन्होने कहा कि किसी भी हाल में प्रदेश में जनता को पेयजल संकट का सामना न करना पडे़, यह अधिकारी देखे। पेयजल योजनाओं के लिये ग्रेविटी प्लान तैयार करने की भी बात उन्होने कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो गांव जल संचय करेंगे उन्हे बोनस के रूप में प्रोत्साहन राशि दिये जाने की योजना पर भी अमल किया जाय, उन्होने इस सम्बंध में अपर मुख्य सचिवको सभी जिलाधिकारियों से वार्ता करने को भी कहा।
जल संस्थान व जल निगम की जिन योजनाओं के लिये केन्द्र से सहायता उपलब्ध होनी है उसके लिये भी ठोस पहल की जाय। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि नमामिगंगे, स्वच्छ भारत मिशन सहित अन्य पेयजल योजनाओं के लिये मिलने वाली केंद्रीय सहायता के लिये वे अगले हफ्ते केन्द्रीय मंत्रीगण से स्वंय भी वार्ता करेंगे।
बैठक में पेयजल मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी, मुख्य सचिव एन.रविशंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, एस राजू, अपर सचिव सौजन्या जल संस्थान व पेयजल निगम के मुख्य महाप्रबन्धको सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।