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पेयजल विभाग की समीक्षा करते हुएः मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड

देहरादून: जल संरक्षण की दिशा में जनसामान्य की सहभागिता सुनिश्चित की जाय। प्रदेश में जल दिवस, जल पुरस्कार एवं पुरानी पेयजल योजनाओं के पुनरूद्धार जैसी योजनाएं शीघ्र शुरू की जाय। रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अधिक प्रोत्साहित किया जाय। चाल-खाल योजना के माध्यम से जल संरक्षण करने वालो को प्रोत्साहित किया जाय। यह निर्देश मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गुरूवार को बीजापुर अतिथि गृह में पेयजल विभाग की समीक्षा करते हुए दिये। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आम जनसामान्य को पानी की बचत के प्रति जागरूक किया जाय। प्रदेश में जल संरक्षण एवं संवर्धन हेतु जन जागरूकता के लिये जल दिवस का आयोजन किया जाय। इसमें महिला मंगल दलों, शिक्षण संस्थाओं एवं अन्य समाजसेवी संगठनो की मदद ली जाए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पानी की बचत के लिये प्रभावी प्रयास करने वालो को प्रोत्साहित किया जाय, इसके लिए कार्य योजना भी तैयार की जाय। उन्होने अधिकारियों को निर्देश दिए कि शहरी-अर्द्ध शहरी पेयजल नवीनीकरण योजना की कार्ययोजना बनाई जाए। इसके तहत पुरानी शहरी पेयजल योजना का पुनरूद्धार किया जाय, इसके लिए नई तकनीक के आधार पर योजनाएं तैयार की जाय।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा चाल-खाल विकसित करने के लिए प्रोत्साहन राशि तथा वाटर बोनस दिये जाने का निर्णय लिया गया है। इस योजना का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन किया जाय। उन्होंने योजना के क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक जिले में जिलाधिकारियों द्वारा नीति के सफल क्रियान्वयन हेतु इसे एक अभियान/पर्व के रूप में संचालित करने के लिए कार्ययोजना तैयार की जाय। अभियान के तहत श्रेष्ठ कार्य करने वाले व्यक्तियों/ग्राम पंचायतों/वन पंचायतों/स्वयं सेवी संस्थाआंे को सार्वजनिक समारोह में सम्मानित किया जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर अधिक बल दिया जाय। इसके लिए आवास एव ंनगर विकास विभाग द्वारा व्यक्तिगत तथा ग्रुप हाउसिंग के मानचित्र स्वीकृत करने की प्रक्रिया के अन्तर्गत रेन वाटर हार्वेस्टिंग/रूफ टाॅप वाटर हार्वेस्टिंग के प्राविधान को अनिवार्य बनाया जाय। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि ग्रुप हाउसिंग के मामलों में जिलाधिकारियों द्वारा भी समय-समय पर जांच करायी जाय और जहां उल्लंघन पाया जाय, वहां ऐसे विकासकर्ता के खिलाफ प्रभावी वैधानिक कार्रवाई सुनिश्चित करायी जायेगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि भूजल के अनुचित दोहन को रोकने हेतु प्रभावी कार्ययोजना तैयार की जाय। वन विभाग, जलागम एवं ग्राम्य विकास विभाग अपनी योजनाओं में वन एवं गैर वन क्षेत्रो में अधिक से अधिक ट्रैंच भी खुदवाये, इससे वर्षा जल स्वाभाविक रूप से एकत्रित हो कर भूजल रिचार्ज भी हो सकेगा।
सचिव पेयजल अरविंद सिंह ह्यांकी ने बताया कि विभाग द्वारा चाल-खाल विकसित करने के लिए प्रोत्साहन राशि तथा वाटर बोनस योजना के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। योजना के तहत प्रदेश के अन्तर्गत स्वयं के व्यय पर अथवा शासकीय कार्यक्रमों के साथ युगपितीकरण (क्वअमजंपसपदह) के तहत चाल-खाल का निर्माण/विकास/पुनर्जीविकरण करने पर शासन द्वारा यथानिर्धारित मानकानुसार प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। चाल-खाल का निर्माण, विकास व पुनर्जीवीकरण तथा रखरखाव के लिए प्रोत्साहन राशि एवं वाटर बोनस प्राप्त करने हेतु व्यक्ति, ग्राम पंचायत, वन पंचायत एवं स्वंयसेवी संस्था पात्र होंगे। उन्होंने बताया कि क्वअमजंपसपदह वाले प्रकरणों में स्वयं के अंश का 1/3 अंश तथा पूर्ण लागत स्वयं वहन करने पर लागत का 40 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि देय होगा। लागत राशि का आंकलन पेयजल विभाग द्वारा निर्धारित किया जायेगा। निर्मित/विकसित/पुनर्जीवित चाल-खाल में संरक्षित जल की मात्रा पर अनुमन्य वाटर बोनस की दर जल संस्थान द्वारा उपभोक्ता को उपलब्ध कराये जाने वाले जल पर लिए जाने वाले जल मूल्य की दर के समान होगी।

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