देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शुक्रवार को जेल विभाग की समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी जेलों
में अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरण प्रयोग में लाये जाय। जेलों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाय। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जेल में बंद बंदी रक्षकों के लिए स्वरोजगारपरक कार्यक्रम संचालित किये जाय। निजी क्षेत्र की स्वंयसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर ठोस कार्ययोजना तैयार की जाय। उन्होने कहा कि जेलर व मुख्य विकास अधिकारी आपस में समन्वय कर स्थानीय उत्पादों को उपयोग में लाये। उन्होने आई जी डाॅ पी.वी.के प्रसाद को निर्देशित करते हुए कहा कि ऐसी कार्ययोजना बनाई जाये जिससे स्थानीय उत्पादों का भी जेलों में अधिक से अधिक उपयोग हो सके। जेलों के भोजनालयों में पहाड़ी व्यन्जनों को भी सम्मिलित किया जाय। इसके लिए दिशा-निर्देश जारी किये जाय। उन्होंने कहा कि सभी जेलो में रिक्त पदों का विवरण तैयार किया जाय। सितारगंज, हरिद्वार व देहरादून के जेलों को विशेष तौर पे आधुनिकृत करे। जनपद उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, बागेश्वर एवं अल्मोड़ा में सब जेल बनाये जायेंगे। उन्होने कहा कि सितारगंज जेल की डीपीआर मुख्य सचिव के माध्यम से प्रस्तुत करें। उन्होंने अधीनस्थ चयन आयोग के माध्यम से होने वाली 400 बंदी रक्षको की भर्ती को शीघ्र करने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि जेल में बंद कैदियों से मिलने आने वाले उनके परिजनों को किसी भी प्रकार की कोई असुविधा नही होनी चाहिए। जेल परिसर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाय। जेल में बंद कैदियों के लिए रिफरेशनमेंट कोर्स भी संचालित किये जाय। इसके अलावा कैदियों के रूचि अनुसार उनके लिए स्वरोजगार आधारित कार्यक्रम संचालित किये जाय।
इस अवसर पर मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव ऊजा डाॅ. उमाकांत पंवार, सचिव गृह एवं कारागार विनोद शर्मा, एडीजी राम सिंह मीणा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।