लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री श्री अनिल राजभर ने आज यहां लोकभवन में प्रेस प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा बाढ़ राहत कार्यों की गहन समीक्षा की गयी तथा जिला अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि तटबंध की निरंतर पेट्रोलिंग कराया जाना सुनिश्चित करे ताकि बांधों पर कटान की स्थिति पर सतत् निगरानी रहे। बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में राहत पहुचाने हेतु लगायी गयी नौकाओं के सबंध में जिलाधिकारी को निर्देश दिये गये है कि नौकाएं कही से भी क्षतिग्रस्त न हो और नौवहन के लिए पूर्णतया सुरक्षित हो। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि नौका परिचालन के समय उसकी क्षमता से अधिक व्यक्ति व सामान का वहन उससे न किया जा रहा हो नौकाओं का परिचालन अनुभवी नाविकाओं से कराया जाना सुनिश्चित करे, उन्होंने बताया कि जिलाधिकारियांे को प्रदूषित जनजनित व वेक्टर (मक्खी, मच्छर) जनित रोगों की रोकथाम हेतु आवश्यक कार्यवाही किया जाए एवं इन रोगों की उपचार हेतु समुचित औषधियों का पर्याप्त स्टाॅक तथा पशुओं के आहार हेतु चारा-भूसा आदि की पर्याप्त व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए।
श्री राजभर ने बताया कि जनपद गोरखपुर में राप्ती नदी के बांये तट पर किमी0 16.500 के पास सीपेज हो रहा है। तटबंध पर मिट्टी भरी बोरियें एवं फिल्टर का उपयोग कर सीपेज को नियंत्रित किया जा रहा है। तटबंध की सतत् निगरानी की जा रही है। मऊ जनपद की तहसील मधुबन के ग्राम गजियापुर में दिनांक 05.08.2020 को विद्युत पोल गिर जाने से बंधे पर कटाव हो गया, जिसे तत्काल बन्द कराया गया। अब तक 70 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। बंधे के कटान से लगभग 5,000 परिवार प्रभावित हैं। 03 गांव के पानी से घिरे 20 परिवारों को बाहर निकाला गया है। सतत् निगरानी की जा रही है।
श्री राजभर ने बाढ़ की स्थिति से अवगत कराते हुए बताया कि प्रदेश के वर्तमान में सभी तटबंध सुरक्षित है। प्रदेश में बाढ़ के संबंध में निरन्तर अनुश्रवण किया जा रहा है। कहीं भी किसी प्रकार की चिंताजनक परिस्थिति नहीं है। प्रदेश के प्रभावित जनपदों मंे सर्च एवं रेस्क्यू हेतु एन0डी0आर0एफ0, एस0डी0आर0एफ0 तथा पी0ए0सी0 की कुल 16 टीमें तैनाती की गयी है। 983 नावें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगायी गयी है। बाढ़/अतिवृष्टि की आपदा से निपटने हेतु बचाव व राहत प्रबन्धन के सम्बन्ध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये जा चुके है।
श्री राजभर ने बताया कि बाढ़ पीड़ित परिवारों को खाद्यान्न किट का वितरण कराया जा रहा है। इस किट में 17 प्रकार की सामग्री जिसमें 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, 10 किलो आलू, 05 किलो लाई, 02 किलो भूना चना, 02 किलो अरहर की दाल, 500 ग्रा0 नमक, 250 ग्रा0 हल्दी, 250 ग्रा0 मिर्च, 250 ग्रा0 धनिया, 05 ली0 केरोसिन, 01 पैकेट मोमबत्ती, 01 पैकेट माचिस, 10 पैकेट बिस्कुट, 01 ली0 रिफाइन्ड तेल, 100 टेबलेट क्लोरीन एवं 02 नहाने के साबुन वितरित किये जा रहे है। उन्होंने बताया कि अब तक राहत सामग्री के अन्तर्गत 16,705 खाद्यान्न किट व 1,32,261 मी0 तिरपाल का वितरण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि 249 मेडिकल टीम लगायी गयी है।
श्री राजभर ने बताया कि बाढ की आपदा से निपटने के लिए प्रदेश में 219 बाढ़ शरणालय, और 02 जनपदों में 24 शरणालयों में 3864 व्यक्ति रह रहे है तथा 712 बाढ़ चैकी स्थापित की गयी है। वर्तमान में प्रदेश के 17 जनपद (अम्बेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, गोण्डा, गोरखपुर, कुशीनगर, लखीमपुरखीरी, मऊ, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज तथा सीतापुर) के 666 गांवों बाढ़ से प्रभावित है। शारदा नदी, पलिया कला लखीमपुरखीरी, सरयू नदी, तुर्तीपार बलिया राप्ती नदी बर्डघाट गोरखपुर, सरयू (घाघरा) नदी-एल्गिनब्रिज बाराबंकी और अयोध्या में अपने खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है। प्रदेश में 148 पशु शिविर स्थापित किये गये है तथा 5,90,503 पशुओं का टीकाकरण भी किया गया हैं। उन्होंने बताया कि अब तक कुल 556.3 कंुतल भूसा वितरित किया गया है। आपदा से निपटने के लिए जनपद एवं राज्य स्तर पर आपदा नियंत्रण केन्द्र की स्थापना की गयी है। उन्होंने कहा कि किसी को भी बाढ़ या अन्य आपदा के संबंध में कोई भी समस्या होती है तो वह जनपदीय आपदा नियंत्रण केन्द्र या राज्य स्तरीय कंट्रोल हेल्प लाइन नं0-1070 पर फोन कर सम्पर्क कर सकता है।