नई दिल्ली: दालों की उपलब्धता बढ़ाने और उसकी कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार ने तात्कालिक प्रभाव से अनिवार्य वस्तु अधिनियम,1955 के तहत केंद्रीय आदेश को संसोधित कर दिया है,
जिससे कि आयात से प्राप्त दालों, निर्यातकों द्वारा रखे गए भंडारों, लाइसेंस प्राप्त खाद्य संसाधकों द्वारा कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त होने वाले भंडारों एवं बड़े विभागीय खुदरा व्यापारियों के भंडारों की सीमा निर्धारित की जा सके।
दालों, खाद्य तेलों एवं खाद्य तिलहनों पर भंडार सीमा लगाए जाने को 30.09.2016 तक एक साल के लिए विस्तारित करने के अपने पहले के आदेश में सरकार ने आयात से प्राप्त दालों निर्यातकों द्वारा रखे गए भंडारों, लाइसेंस प्राप्त खाद्य संसाधकों द्वारा कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त होने वाले भंडारों एवं बड़े विभागीय खुदरा व्यापारियों के भंडारों समेत चार वर्गों के भंडारों को छूट दी थी। सरकार ने अब इन चार वर्गों द्वारा दाल के भंडारण पर दी गई छूट को वापस ले लिया है।
सरकार ने दाल के निर्यात को प्रतिबंधित करने, दालों पर शून्य आयात शुल्क को बढ़ाने और मूल्य स्थिरीकरण कोष से 5,000 टन दालों के आयात द्वारा दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। दालों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए उड़द एवं अरहर दाल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाकर 4,625 रुपए प्रति क्विंटल एवं मूंग दाल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ारक 4,850 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने 14.10.2015 को एक उच्च स्तरीय अंत:मंत्रीस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की और दालों की खरीद एवं आयात द्वारा एक बफर स्टॉक (सुरक्षित भंडार) के सृजन, कालाबाजारियों एवं तहबाजारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, मूल्य स्थिरीकरण कोष से दालों को ले जाने-ले आने (ढ़ुलाई), रख-रखाव एवं आयातित दालों के मिलिंग शुल्क को वहन किए जाने और राज्यों को आयातित दालों के भंडारण संबंधित निर्देश दिए जाने जैसे बड़े निर्णय लिए।
मंत्रीमंडलीय सचिव भी प्रतिदिन के आधार पर मूल्य की स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने सभी विभागों को अनिवार्य वस्तुओं, विशेषकर दाल की कीमतों पर कड़ी नजर रखने और मूल्य में वृद्धि पर अंकुश रखने के लिए सभी राज्यों के साथ घनिष्ठ समन्वय के साथ काम करने का निर्देश दिया है। सभी राज्यों को कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाने और व्यापारियों द्वारा तहबाजारी किए जाने तथा मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाने की सलाह दी गई है। 500 टन तुर दाल केंद्रीय भंडार को और 200 टन सफल 400 से ज्यादा विक्रय केंद्रों के जरिए वितरण के लिए आवंटित किया गया है। नई दिल्ली में 16 अक्टूबर से इन विक्रय केंद्रों के जरिए वितरण प्रारंभ भी कर दिया गया है।
इन सभी कदमों से दाल की उपलब्धता में बढ़ोत्तरी होने तथा दालों की कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है।