किसानों की विभिन्न उपज का सही मूल्य दिलाते हुए उनकी आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई सुविधायें दी गई है। प्रदेश में दूध से बनने वाले पदार्थों, खाद्य पदार्थों की उत्तरजीविता को बढ़ाने, किसानों द्वारा कृषि उपज में विविधता लाने हेतु बढ़ावा देने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने पोषण स्तर में सुधार करने, रोजगार के नये अवसर सृजित करने, किसानों का अतिरिक्त लाभ सुनिश्चित करने, निर्यात आय को बढ़ावा देने आदि महत्वपूर्ण उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा दे रही है। खाद्य प्रसंस्करण ऐसी गतिविधियां है जिसमें प्राथमिक कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण कर उनका मूल्यवर्द्धन किया जाता है। भारत वर्ष में बड़ी मात्रा में विदेशी खाद्य/पेय प्रसंस्कृत उत्पाद आयात किया जाता है। खाद्य प्रसंस्करण ऐसा क्षेत्र है, जिसमें व्यापक स्तर पर उद्योग स्थापित कर खाद्य पदार्थों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए देश और प्रदेश के राजस्व बढ़ोत्तरी में सहयोग प्रदान किया जा सकता है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उ0प्र0 सरकार ने निजी क्षेत्र से अधिक से अधिक निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 में गत माह संशोधन भी किया गया है। संशोधन के अनुसार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने वाली इकाईयों को पांच वर्ष की मण्डी शुल्क की छूट की सीमा को बढ़ाकर दस वर्ष किया गया है। मण्डी शुल्क की पांच वर्ष छूट की सीमा के पश्चात आगामी पांच वर्ष के लिए उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के प्रस्तर-5.3 (डी.) के अन्तर्गत पात्र इकाइयों को एस0जी0एस0टी0 के लिए प्रतिपूर्ति की निर्धारित सीमा एवं व्यवस्था के अनुसार योजनान्तर्गत अनुमन्य वर्ष में मण्डी शुल्क एवं एस0जी0एस0टी0 के रूप में जमा की गयी धनराशि आगामी पांच वर्ष तक प्रतिपूर्ति की जायेगी।
प्रदेश सरकार की उ0प्र0 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 के अन्तर्गत वेब पोर्टल पर लगभग 242 आनलाईन आवेदन पंजीकृत हुए हैं, जिनमें 1240 करोड़ रूपये का पूंजी निवेश एवं लगभग 25 हजार लोगोें को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन की सम्भावना है। 242 आवेदनों में से पूंजीगत उपादान के 130, पूंजीगत उपादान (पी0एम0एस0एस0वाई0) के 18, ब्याज उपादान के 82, रीफर व्हीकिल के 07, बाजार विकास के 01 तथा बैंकेबुल प्रोजेक्ट के 4 आवेदन सम्बंधित हैं।
आनलाईन वेब पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों को राज्य सरकार की राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति (एस0एल0ई0सी0) द्वारा स्वीकृति प्रदान की जाती है। अब तक एस0एल0ई0सी0 की चार बैठकें हो चुकी हैं। प्रथम बैठक में 11 परियोजनाएं (रू0 34 करोड़), द्वितीय बैठक में 27 परियोजनाएं (रू0 60 करोड़) तृतीय बैठक में 14 परियोजनाएं (रू0 64.13 करोड़) तथा चतुर्थ बैठक मे 45 परियोजनाओं (रू0 218 करोड़) को स्वीकृत किया गया है।
प्रदेश सरकार की प्रथम ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरिमनी में सबसे ज्यादा संख्या में परियोजनाएं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से हैं, जो स्वयं में स्पष्ट है कि प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने की प्रबल सम्भावना विद्यमान है। ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरिमनी-1 में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की 14 परियोजनायें ,जिनमें लगभग 3550 करोड़ रूपये का पूंजी निवेश प्रस्तावित था, वर्तमान में या तो वांणिज्यिक उत्पादन में हैं अथवा शीघ्र ही वांणिज्यिक उत्पादन में आने वाले हैं। यूपी इन्वेस्टर्स समिट 2018 में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 269 उद्यमियों द्वारा धनराशि रु 15182.54 करोड़ के एम0ओ0यू0 किए गए। प्रथम ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह के पश्चात अद्यतन कुल 126 उद्यमियों के लगभग रुपया 5390.70 करोड़ लागत के निवेश संबंधी परियोजनाओं में धरातल पर कार्य प्रारंभ है।
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार के विशेष प्रयास से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय भारत सरकार से प्रदेश में 3 मेगा फूड पार्को की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है, जिनमें से 2 परियोजनाएं -मैसर्स पतंजलि फूड्स एंड हर्बल प्राइवेट लिमिटेड गौतमबुद्ध नगर एवं मैसर्स नन्दन फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड, मथुरा, को भारत सरकार द्वारा अंतिम स्वीकृति प्रदान की गई । क्रिएशन ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर फार एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर के अंतर्गत दो क्लस्टर- जनपद कानपुर देहात एवं मथुरा से स्वीकृत हुए हैं।
ग्राउण्ड ब्रेकिंग के द्वितीय चरण में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापना के 41 परियोजनायें हैं, जिनमें 3064.55 करोड़ रूपये का पूंजी निवेश होगा। 18 परियोजनायें लगभग 2000 करोड़ रूपये का पूंजी निवेश है, वह चीनी मिल, दुग्ध तथा एग्रो प्रासेसिंग क्रिया से सम्बन्धित है। इन इकाईयों के माध्यम से प्रदेश में फल सब्जी, खाद्यान्न, तिलहन एवं दलहन से जुड़े विविध उत्पादों का निर्माण किया जायेगा। यह इकाईयां प्रदेश के पश्चिमी भू-भाग, मध्य भू-भाग, पूर्वांचल एवं बुन्देलखण्ड सभी क्षेत्र में स्थापित हो रही है। इससे प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हो सकेगें।
प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में उ0प्र0 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 में निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से मण्डी शुल्क तथा एस0जी0एस0टी0 से सम्बन्धित संशोधन किया गया है इससे उद्यमी उत्तर प्रदेश में बड़ी मात्रा में निवेश हेतु आगे आ रहे हैं। उनकी समस्त समस्याओं का समाधान भी प्रदेश सरकार द्वारा शीघ्रता से किया जा रहा है। प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण इकाईयां की स्थापना से किसानों द्वारा की गई विभिन्न फसलों की आपूर्ति से उन्हें वाजिब मूल्य और बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा।
सौजन्य से पंजीकृज उ प्र न्यूज फीचर्स एजेन्सी