लखनऊ: प्रदेश के मातृ, शिशु एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रविदास मेहरोत्रा ने कहा है कि गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण, प्रसव पश्चात् शिशु को स्तनपान, शिशओं के पूर्ण टीकाकरण, किशोर/किशोरियों के लिए टिटनेश टीकाकरण तथा विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों पल्स पोलियो अभियान, राष्ट्रीय क्षय नियन्त्रण, राष्ट्रीय कुष्ठ निवारण, अन्धता निवारण कार्यक्रम तथा खासतौर पर संक्रामक रोगों की रोकथाम में आशाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि आशा दिवस पर सभी आशाएं संकल्प लें कि सभी माताएं बच्चों को दूध अवश्य पिलाएं, जिससे बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहे। मां का दूध बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत की लाभकारी होता है। मां के दूध की तुलना अन्य दूध से नहीं की जा सकती है।
श्री मेहरोत्रा आज यहां गांधी भवन सभागार में उ0प्र0 राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (संविदा) कर्मचारी द्वारा आयोजित आशा दिवस सम्मेलन-2016 में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि गरीब, असहाय एवं बेसहारा व्यक्ति को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले। साथ ही मातृ एवं शिशु मृत्युदर में आशातीत कमी हो, इसके लिए आशाओं को और अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव हों, इसके लिए आशाओं को विशेष ध्यान देना होगा। आशाओं को नियत मानदेय, टार्च तथा साइकिल दिये जाने की कार्यवाही की जा रही है। सरकार द्वारा मातृ एवं शिशु मृत्युदर में कमी हेतु अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रहीं हैं। उन्होंने कहा समस्त जनपदों में आंगनबाड़ी केन्द्रों तथा स्कूलों पर कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था की गई है। डाक्टरों की टीम आंगनबाड़ी केन्द्रों तथा स्कूलों में जाकर बच्चों की जांच कर रही है।
श्री मेहरोत्रा ने कहा कि प्रदेश में प्रतिवर्ष 56 लाख से अधिक बच्चों का जन्म हो रहा है, जबकि केवल 26 लाख बच्चें ही सरकारी अस्पतालों में पैदा होते हैं। इसके अलावा 20 लाख शिशुओं का जन्म अभी भी घरों में हो रहा है। प्रतिवर्ष कतिपय कारणों से 3.40 लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है। यह स्थिति बहुत ही चिन्तनीय है। उन्होंने कहा कि नवजात शिशुओं की एक से छः सप्ताह तक बेहतर देख-भाल से ही शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। खासतौर पर बच्चों का जन्म अस्पतालों में होने से काफी हद तक शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। इसमें आशा बहुओं की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के प्रति बेहद गम्भीर है।
श्री रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए सब बच्चे अस्पताल में पैदा होने चाहिए। प्रदेश सरकार जननी सुरक्षा योजना के अन्तर्गत महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्र में 1400 रुपये व शहरी क्षेत्र में 1000 रुपये उपलब्ध करा रही है। आशा कार्यकत्र्री को संस्थागत प्रसव कराने हेतु 600 रुपये दिये जाने का प्राविधान किया गया है। उन्होंने कहा प्रदेश में आशा बहुआंे की संख्या कम है, इस कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। जहां एम्बुलेंस नहीं पहुँच सकती, वहां पर आशा कार्यकत्र्री पहुँच जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 2.7 करोड़ बच्चों की उम्र 5 वर्ष से कम है। इन बच्चों को उचित देख-भाल की आवश्यकता है, ताकि इनमें किसी भी प्रकार का कुपोषण न होने पाए। उन्होंने कहा कि शिशु के जन्म के उपरान्त दो मिनट का समय बहुत संवेदनशील है। इस दौरान शिशु को अतिविशिष्ट देख-भाल की जरूरत है। इसके लिए आशा बहुएं समय से गर्भवती महिलाओं को पूरी जानकारी उपलब्ध कराएं, ताकि प्रसव के उपरान्त माता एवं शिशु को किसी प्रकार की स्वास्थ्य हानि न होने पाये।
श्री मेहरोत्रा ने कहा कि पूर्वांचल में 38 जिले हैं, जहां दिमागी बुखार से बहुत से बच्चों की मौत होती है। वहाँ पर शत-प्रतिशत टीकाकरण होना चाहिए, इसके लिए आशा बहुओं को और अधिक प्रयास करने की जरूरत हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक घण्टे के अन्दर स्तनपान की दर मात्र 22.5 प्रतिशत है। छः माह तक स्तनपान की दर 62.5 प्रतिशत है। राज्य में 100 प्रतिशत बे्रस्ट फीडिंग होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे वर्ष फील्ड स्तरीय कार्यकर्Ÿााओं आशा, ए0एन0एम0 तथा आगंनवाड़ी के माध्यम से ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस, नियमित टीकाकरण तथा होमबेस्ड़ न्यूबोर्न केयर कार्यक्रम के दौरान स्तनपान को बढ़ावा देने तथा स्तनपान में आने वाली कठिनाईयों को दूर करने हेतु गर्भवती एवं धात्री माताओं को उचित सलाह एवं सहयोग प्रदान करेंगीं।
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