लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार मत्स्य पालकों /मछुआ समुदाय के व्यक्तियों को रिकार्ड मछली उत्पादन तथा आधुनिक वैज्ञानिक विधियों के अनुसार मत्स्य पालन के सम्बंध में मत्स्य विभाग के मत्स्य पालन विशेषज्ञों तथा अधिकारियों द्वारा उपयोगी सुझाव दिये जाने की उत्तम व्यवस्था की गयी है।
यह जानकारी प्रदेश के मत्स्य विकास मंत्री श्री इकबाल महमूद ने दी। उन्होंने बताया कि प्रभम, द्वितीय तृतीय एवं चुतुर्थ त्रैमास में मत्स्य पालक मछली पालन हेतु कब क्या करें जिससे उन्हें मत्स्य पालन एवं रिकार्ड मछली उत्पादन में सफलता मिले।
मत्स्य विकास मंत्री ने बताया कि प्रभम त्रैमास (अप्रैल, मई, जून) में उपयुक्त तालाब का चुनाव, नये तालाब के निर्माण हेतु उपयुक्त स्थल का चयन, मिट्टी-पानी की जांच। तालाब के सुधार/निर्माण हेतु मत्स्य पालक विकास अभिकरणों के माध्यम से तकनीकी व आर्थिक सहयोग लेते हुये तालाब सुधार/निर्माण कार्य की पूर्णता की जाय, अवांछनीय जलीय वनस्पतियों की सफाई जरूरी है, एक मीटर पानी की गहराई वाले एक हे0 के तालाब में 25 कुंटल महुआ की खली के प्रयोग के द्वारा अथवा बार-बार जाल चलवाकर अवांछनीय मछलियों की निकासी की जाय। उर्वराशक्ति की वृद्धि हेतु 250 कि0ग्रा0/हेक्टेयर चूना तथा सामान्यतः 10-20 कुंटल/हे0/गोबर की खाद का प्रयोग किया जाय।
उन्होंने बताया कि द्वितीय त्रैमास (जुलाई, अगस्त, सितम्बर) में मत्स्य बीज संचय के पूर्व पानी की जांच (पी-एच 7.5-8 व घुलित आक्सीजन 5 मिली ग्राम/लीटर होनी चाहिए), तालाब में 25-50 मिली मीटर आकार के 10,000 मत्स्य बीज का संचय, पानी में उपलब्ध प्राकृतिक भोजन की जांच, गोबर की खाद के प्रयोग के 15 दिन बाद सामान्यतः 49 कि0ग्रा0 हे0/माह की दर से एन0पी0 के खादों (यूरिया 20 कि0ग्रा0 सिंगिल सुपर फास्फेट 25 कि0ग्रा0, म्यूरेट आफ पोटाश 4 कि0ग्रा0) का प्रयोग, मत्स्य अंगुलिकाओं के भार का 1-2 प्रतिशत की दर से प्रतिदिन पूरक आहार का प्रयोग किया जाय।
मत्स्य विकास मंत्री ने बताया कि तृतीय त्रैमास (अक्टूबर, नवम्बर, दिसम्बर) मछलियों की वृद्धि दर की जांच की जाय, मत्स्य रोग की रोकथाम हेतु सीफेक्स का प्रयोग अथवा रोग ग्रस्त मछलियों को पोटेशियम परमैनेट या नमक के घोल में डालकर पुनः तालाब में छोड़ने का कार्य किया जाय, पानी में प्राकृतिक भोजन की जांच की जाय, पूरक आहार दिया जाना, उवर्रकों का प्रयोग किया जाय चतुर्थ त्रैमास (जनवरी, फरवरी, मार्च), बड़ी मछलियों की निकासी एवं विक्रय, बैंक की ऋण किश्त की अदायगी, एक हे0 के तालाब में कामन कार्प मछली के लगभग 1500 बीज का संचय , पूरक आहार दिया जाना, उर्वरकों का प्रयोग किया जाय।