नई दिल्ली: 47वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में बच्चों और दिव्यांगों के लिए तीन फिल्में – गांधी, भाग मिल्खा भाग और धनक दिखाई गईं। इन फिल्मों का प्रदर्शन सुगम्य भारत अभियान के तहत श्रवण-विवरण (ऑडियो डिसक्रिप्शन) के जरिए किया गया। इन फिल्मों का प्रदर्शन यूनेस्को और सक्षम गैर सरकारी संगठन के सहयोग से किया गया। उल्लेखनीय है कि दिल्ली आधारित गैर सरकारी संगठन सक्षम की स्थापना 2003 में श्री दीपेंद्र मनोचा और श्रीमती रूमी सेठ ने किया था। इन्होंने ऑडियो डिसक्रिप्शन के जरिए फिल्म का प्रदर्शन किया।
श्रीमती रूमी सेठ ने कहा कि ऑडियो डिसक्रिप्शन के जरिए दृष्टि बाधित व्यक्ति को यह आभास हो जाता है कि परदे पर क्या चल रहा है। उन्हें अपने निजी अनुभव से यह प्रेरणा मिली कि वे इस तरह की परियोजना शुरू करें। उन्होंने कहा कि इस फिल्म महोत्सव से द़ष्टि बाधित लोगों को सांस्कृतिक अनुभव होगा और वे समावेशी यात्रा में सम्मिलित हो सकेंगे। सक्षम ने 22 से अधिक फिल्मों, डॉक्यूमेंट्री को ऑडियो डिसक्रिप्शन के तहत तैयार किया है। इनमें बच्चों की फिल्में भी शामिल हैं। सक्षम का प्रयास है कि बड़े बैनरों वाली फिल्मों को भी समावेशी प्रक्रिया में शामिल करें। ये लोग प्रयास कर रहे हैं कि फिल्म के रिलीज होने के साथ ऑडियो डिसक्रिप्शन भी तैयार किया जा सके। यह कार्य डीवीडी के जारी होने के विपरीत फिल्म के रिलीज होने के बाद किया जाएगा।
श्री दीपेंद्र मनोचा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऑडियो डिसक्रिप्शन की अवधारणा पहले से मौजूद है। अब भारत में भी इस प्रयास को बढ़ावा दिया जा रहा है। बहरहाल हर फिल्म को इस रूप में तैयार करने में काफी समय लगेगा।
यूनेस्को के संस्कृति कार्यक्रम के प्रमुख श्री विजय राघवन ने कहा कि उनका संगठन सांस्कृतिक विविधता को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है। यह विचार सुगम्यता को प्रोत्साहन देने से संबंधित है। यूनेस्को दिल्ली दिव्यांग व्यक्तियों के लिए संस्कृति तक पहुंच में सुधार करने के प्रति प्रयासरत है इसके लिए संग्रहालयों, धरोहर स्थलों, कला, शिक्षा आदि के जरिए सुगम्यता पहलें की जायेंगी। इसके अलावा दृष्टि बाधितों के लिए नृत्य पाठ्यक्रम की व्यवस्था भी की जाएगी।
गोवा सरकार के सामाजिक कल्याण निदेशालय के ओएसडी श्री ताहा हाजिक ने कहा कि उनका संस्थान पहली बार आईएफएफआई का हिस्सा बनने पर बहुत उत्साहित है। यह ‘एक्सेसेबल फिल्म्स’ वर्ग में दृष्टि बाधितों के समावेश का बड़ा प्रयास है। सभी आशान्वित रहे कि समान विचारों वाले संस्थान भी भविष्य में योगदान करेंगे।