नई दिल्ली: केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने आज महिला व बाल विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की परामर्शदात्री समिति के एक बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने सदस्यों को देश में बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) और आश्रय गृहों की स्थिति की जानकारी दी। मंत्री महोदया ने कहा कि महिला व बाल विकास मंत्रालय राज्य/ केंद्र शासित सरकारों से निरंतर अनुरोध कर रहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सीसीआई, जेजे अधिनियम, 2015 में उल्लिखित देखभाल मानकों का अनुपालन कर रहे हैं। 2016 में मंत्रालय ने चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन और एनसीपीसीआर के सहयोग से सीसीआई पर एक अध्ययन किया था। इस अध्ययन के आधार पर 9000 से अधिक सीसीआई/ गृहों की मैपिंग की गई। इनमें से 32 प्रतिशत (3071) जेजे अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत हैं। मंत्रालय ने इन सीसीआई/ गृहों के पंजीयन के लिए एक अभियान चलाया। परिणामस्वरूप 31 दिसंबर, 2017 तक 7109 सीसीआई/ गृहों का पंजीकरण हुआ। 401 पंजीकरण की प्रक्रिया में हैं। सीसीआई से संबंधित हाल के मामलों को देखते हुए मंत्रालय ने एनसीपीसीआर के सहयोग से इन संस्थानों के सामाजिक लेखा का निर्णय लिया है। 3000 गृहों का सामाजिक लेखा हो चुका है। 40 गृहों को नियम न मानने के कारण बंद कर दिया गया है।
श्रीमती मेनका गांधी ने आगे कहा कि बच्चों को पर्याप्त देखभाल और सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक दीर्घावधि समाधान के तहत प्रत्येक राज्य में एक बड़ी केंद्रीय सुविधा होनी चाहिए। राज्य सरकारों को भूमि उपलब्ध करानी चाहिए, मंत्रालय निर्भया तथा अन्य कोषों से धनराशि की व्यवस्था करेगा। सरकार इन गृहों में सुरक्षा के अतिरिक्त कौशल, व्यापार, शिक्षा आदि से संबंधित कार्यक्रम चलाएगी। चूंकि इन गृहों का संचालन सरकार स्वयं करेगी, इसलिए ये सुरक्षित होंगे।
मंत्री महोदया ने सदस्यों से अपने चुनाव क्षेत्रों में स्थित सीसीआई के निरीक्षण करने तथा जिलाधिकारी से इस संबंध में विचार-विमर्श करने का आग्रह किया। बच्चों और महिलाओं को आश्रय प्रदान करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक बड़ी सुविधा के निर्माण से संबंधित सुझाव का सदस्यों ने गर्मजोशी से स्वागत किया।