देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार को बीजापुर अतिथि गृह में देर सायं तक वन विभाग की समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वनाग्नि को रोकने के प्रभावी उपाय सुनिश्चित किये जाय। उन्होंने कहा कि जंगलों में जल प्रबंधन पर विशेष जोर दिया जाय। इसके लिए वनों में चाल-खाल एवं तालाब निर्माण पर जोर दिया जाय।
बरसात से पहले जंगलों में छोटे-छोटे तालाब बना लिये जाय, इससे जंगलों में जल संचय में वृद्धि होगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि जहां-जहां पर नया वृक्षारोपण किया गया है, यदि वहां पर वनाग्नि हुई है, तो उसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाय। इसके लिए संबंधित डी.एफ.ओ. जिम्मेदार होगा। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की घटनाएं कम हो, इसके लिए कारगर उपाय सुनिश्चित किये जाय। जंगलों के पास के गांवों को वनाग्नि बचाव योजना से जोड़़ा जाय। इसके लिए स्थानीय युवाओं को साथ मिलकर ठोस योजना बनायी जाय। उन्होंने कहा कि वन विभाग मुख्यालय पर वनाग्नि के संबंध में कंट्रोल रूम स्थापित करे, जिसमें प्रतिदिन की रिपोर्ट तैयार की जाय। साथ ही विगत वर्षों में जिन क्षेत्रों में बड़ी वनाग्नि की घटनाएं हुई उसकी रिपोर्ट भी तैयार की जाय, कि किस कारण वनाग्नि की घटना हुई और संबंधित डी.एफ.ओ. के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वनाग्नि से बड़ी मात्रा में वन संपदा को नुकसान होता है। इस बात पर भी ध्यान दे कि डीप फारेस्ट एरिया में वनाग्नि की घटनाएं किस कारण हो रही है। उन्होंने कहा कि वन पंचायतों को साथ जोड़ कर वनाग्नि को रोकने के प्रभावी उपाय सुनिश्चित किये जाय।
बैठक में मुख्य सचिव एन.रवि शंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव वन डाॅ. रणबीर सिंह, प्रमुख वन संरक्षक एस.एस.शर्मा आदि उपस्थित थे।
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