देहरादून: प्रदेश में खेती को बन्दरों एवं जंगली सूअरो से हो रहे नुकसान से बचाने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाये। इसके लिए सुदूर जंगलों में बन्दरवाडे बनाये जाय। साथ ही जंगली सूअरों को मारने के लिए दी जाने वाली अनुमति के लिए जिलाधिकारी के अलावा फारेस्टरों को भी अधिकार दिए जायं। चीफ वार्डन फारेस्टर को प्राप्त अधिकार फील्ड स्तर पर भी दिया जाय।
वन विभाग अपने स्तर से शिकारी नामित करने के साथ ही जिलाधिकारी व फारेस्टर इसकी अनुमति देने तथा शिकारियों को लाईसेंस जारी करने की प्रक्रिया में तेजी लायें। यह निर्देश मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शुक्रवार को बीजापुर अतिथि गृह में वन विभाग की समीक्षा करते हुए उच्चाधिकारियों को दिये।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि बन्दरों एवं जंगली सूअरों के आतंक से गांव के गांव खाली होने लगे है। प्रदेश में खेती को बचाने तथा गांवों से पलायन को रोकने के लिए आवश्यक है कि खेती को बन्दरों और जंगली जानवरों से हो रहे नुकसान से बचाया जाय। उन्होंने बन्दर बाडे बनाने के लिए तात्कालिक रूप से 10 करोड़ रुपये तथा वनो मंे जल संवर्द्धन हेतु चाल-खाल के निर्माण के लिए भी 10 करोड़ रुपये की धनराशि जल्द ही उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जंगलो में चारा प्रजाति के पौधों के रोपण की भी व्यवस्था की जाय, ताकि जानवरो को चारे के लिए जंगल से बाहर न आना पड़े। चीड व यूकेलिपट्स के पेड़ों को काटने की भी अनुमति देने की प्रक्रिया भी सरल की जाय। ऐसे वृक्षों जंगलो में आग लगने का मुख्य कारण है। साथ ही वृक्ष भी इनके आस पास नही पनप पाते है। उन्होंने वन विभाग को बरसात के इस मौसम में व्यापक रूप से वृक्षारोपण पर भी ध्यान देने के निर्देश दिये। मिक्स प्रजाति के वृक्षों के रोपण पर ध्यान दिया जाय, ताकि वनावरण बढ़ सके। नील गाय, जड़ाऊ व सांभर जैसे जानवरों के द्वारा खेती को हो रहे नुकसान को कम करने के लिए इन्हें भी वापस जंगलो में छोड़ा जाए, इसकी भी कार्ययोजना बनायी जाय।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वन, कैम्पा, जायका व जलागम से जल संवर्द्धन के साथ ही सूअर रोधी दीवार व बन्दर वाडे बनाने की एकीकृत योजना बनायी जाय। वनों मे मडुंआ, चैलाई आदि पत्तेदार पौधो के बीजों का रोपण किया जाए, ताकि जंगली जानवरो को जंगल में ही चारा उपलब्ध हो जाए और वे गांवों की ओर न आए। वाटर वाडी बनाने से जंगलों में वनावरण बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। यही नही फारेस्ट के अन्दर किस प्रकार के चारा प्रजाति के वृक्ष हो सकते है, इसकी भी जानकारी रखी जाए। इससे मानव पशु संघर्ष भी कम होगा। वनों में अधिक से अधिक चैड़ी प्रजाति के वृक्षों के रोपण पर ध्यान देने की भी बात मुख्यमंत्री ने कही।
बैठक में वन मंत्री दिनेश अग्रवाल, मुख्य सचिव एन. रविशंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, महानिदेशक सूचना विनोद शर्मा, प्रमुख सचिव वन डाॅ. रणबीर सिंह, प्रमुख वन संरक्षक एस एस शर्मा सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।