नई दिल्ली: वाणिज्य विभाग ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में व्यापार उपाय महानिदेशालय के गठन के लिए औपचारिक तौर पर अधिसूचना जारी कर दी है। माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने 7 मई को इस संदर्भ में भारत सरकार (व्यापार आबंटन) नियम, 1961 में भारत सरकार के संशोधन के बाद वाणिज्य विभाग में डीजीटीआर के गठन के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है।
डीजीटीआर एंटी-डंपिंग, प्रतिकारी शुल्क और सुरक्षा उपायों समेत व्यापार संबंधी समस्याओं से निपटने के सभी उपायों को लागू करने का सर्वोच्च राष्ट्रीय प्राधिकरण होगा। एंटी-डंपिंग एवं संबद्ध शुल्क महानिदेशालय (डीजीएडी), सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएस) और डीजीएफटी के सुरक्षा क्रिया-कलापों (क्यूआर) को मिलाकर राष्ट्रीय प्राधिकरण डीजीटीआर के तहत लाया जाएगा। डीजीटीआर हमारे घरेलु उद्योगों और निर्यातकों को दूसरे देशों द्वारा इनके खिलाफ गठित जांच की बढ़ती घटनाओं से निपटने में व्यापार सुरक्षा मदद भी उपलब्ध कराएगा। पिछले तीन साल में भारत ने अनुचित व्यापार व्यवहार की बढ़ती घटनाओं से निपटने और घरेलु उद्योग को बराबरी का मौका देने के लिए एंटी-डंपिंग/प्रतिकारी शुल्क/सुरक्षा संबंधी 130 से अधिक मामलों में पहल की है।
डीजीटीआर के लिए कुल 112 पद अनुमोदित किए गए हैं जो वाणिज्य विभाग के एंटी-डंपिंग एवं संबद्ध शुल्क महानिदेशालय (डीजीएडी) और सीबीईसी के सुरक्षा महानिदेशालय से भेजे जाएंगे। डीजीटीआर एक बहुआयामी सेवा संगठन होगा जिसमें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, कस्टम, राजस्व, वित्त, अर्थशास्त्र, लागत निर्धारण और कानून से जुड़े दक्ष अधिकारी शामिल होंगे। डीजीटीआर के गठन से डीजीएडी और डीजीएस के विलय की वजह से सरकार को 49 पदों की बचत होगी। यह प्रधानमंत्री के न्यूनतम सरकार-अधिकतम प्रबंधन के लक्ष्य के अनुरूप है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने 1997 से लंबित डीजीटीआर के गठन पर संतोष जताया और इसे हमारे घरेलु उद्योगों को बराबरी का मौका देने की प्रधानमंत्री की दृष्टि की अभिव्यक्ति बताया।