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भूमि के चयन एवं चिन्हांकन हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का गठन: डा0 नवनीत सहगल

उत्तर प्रदेश

 लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के विकास हेतु ग्राम समाज की भूमि को लघु औद्योगिक आस्थानों के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। ग्राम समाज की 10 एकड़ से अधिक भूमि चिन्हित कर उद्योग निदेशालय को निःशुल्क हस्तांतरित की जायेगी। चिन्हित भूखण्डों का विकास लघु उद्यमों की मांग के अनुरूप उद्योग निदेशालय द्वारा कराया जायेगा। उन्होंने बताया कि भूमि के चयन के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। समिति में उपायुक्त उद्योग संयोजक सदस्य तथा संबंधित अपर/संयुक्त आयुक्त उद्योग, अपर जिलाधिकारी प्रशासन तथा उप जिलाधिकारी सदस्य बनाये गयेे हैं।

      प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के प्रमुख सचिव डा0 नवनीत सहगल ने इस संबंध में पत्र भेजकर राज्य के सभी मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों के विकास के लिए भूमि के चिन्हांकन का कार्य यथाशीघ्र सुनिश्चित करने की अपेक्षा भी की है। उन्होंने बताया कि मण्डलायुक्त/जिलाधिकारियों द्वारा जिन ग्रामों की भूमि पुनग्र्रहीत की जायेगी, उस ग्राम से संबंधित विकास खण्ड के उद्यमियों को औद्योगिक आस्थानों में उद्योगों की स्थापना के लिए प्राथमिकता पर भूखण्ड आवंटित किये जायेंगे।

      डा0 सहगल ने बताया कि जनपदवार औद्योगिक आस्थानों तथा पंजीकृत उद्यमियों की सूची जिलाधिकारियों को उद्योग विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जायेगी। इन औद्योगिक आस्थानों में उपयुक्त स्थानों पर पंजीकृत उद्यमियों को नियमानुसार भूमि/प्लाट आवंटित किये जायेंगे। यदि इन आस्थानों में पंजीकृत उद्यमी अवशेष रह जाते हैं, तो उद्योग विभाग द्वारा प्रदेश में क्षेत्र में विशेष उद्योगों की स्थापना के लिए भूमि का चिन्हांकन करके उद्यमियों को आवंटित किया जायेगा।

      प्रमुख सचिव के अनुसार क्षेत्र विशेष औद्योगिक विकसित करने के लिए 10 एकड़ से अधिक ग्राम समाज की सामान्य/अनारक्षित भूमि की आवश्यक होने पर उद्योग विभाग द्वारा भूमि के पुनग्र्रहण के लिए जिलाधिकारी को समुचित प्रस्ताव उपलब्ध कराया जायेगा। यदि औद्योगिक आस्थान के मध्यम ग्राम समाज के सावर्जनिक उपयोग की भूमि आती है, तो उनके पुनर्ग्रहण व विनिमय का प्रस्ताव शासन को उपलब्ध कराना होगा।

      डा0 सहगल ने बताया कि गठित समिति द्वारा भूमि का चयन करते समय यह अवश्य ध्यान रखा जायेगा कि भूमि सड़क मार्ग से जुड़ी हो, समतल हो, जलभराव से मुक्त हो, विद्युत लाइन के पास व विवाद रहित हो तथा स्थानीय स्तर पर औद्योगिक आवश्यकताओं के अनरूप होनी चाहिए। संबधित उपायुक्त उद्योग द्वारा चयनित भूमि के संबंध में औद्योगिक दृष्टिकोण उपयुक्त होने का प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराया जायेगा। इस समिति को भूमि के चयन की प्रक्रिया का कार्य 15 दिन में पूर्ण कर इसकी सूचना शासन और उद्योग निदेशालय को उपलब्ध कराना होगा।

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