नई दिल्ली: चुनावी मौसम में देश के हर राजनीतिक दल को किसानों की चिंता सताने लगती है। राजनीतिक दल किसानों के कर्ज माफ करने और MSP बढ़ाने के लुभावने वादे करते दिखाई देते हैं। चुनावी रैलियों से लेकर हर मंच पर किसानों का कर्ज माफ कर उनकी परेशानियों को खत्म करने की बात की जाती है। लेकिन इस मुद्दे पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर और हाल में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आचोलना करने वाले रघुराम राजन की अलग राय है। उन्होंने कहा है कि कृषि कर्ज माफी जैसे मुद्दों को चुनावी वादा नहीं बनाया जाना चाहिए।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर और अर्थशास्त्री रघुराम राजन कहते हैं कि ये कृषि क्षेत्र में लंबे समय से कायम समस्या का हल नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे कदम से खेती में निवेश तो रुकने के साथ-साथ राज्यों की हालत भी खराब होती है। पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा कि उन्होंने कर्जमाफी रोकने के लिए चुनाव आयोग को पत्र भी लिखकर उचित कदम उठाने का आग्रह किया है।
रघुराम राजन ने कहा कि किसानों और खेती की समस्या पर बात करना सही है लेकिन क्या कर्ज माफी सही तरीका है। आखिर कुछ ही किसानों का ऐसे कर्ज मिल पाता है। रघुराम राजन ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि पिछले 5 साल में हुए हर राज्य में विधानसभा चुनावों के दौरान किसी न किसी पार्टी ने कर्जमाफी का वादा किया। हाल में ही कुछ राजनीतिक दलों ने कर्ज माफ करने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के वादा भी किया था।
रघुराम राजन ने कहा कि कर्जमाफी का लाभ अक्सर उन लोगों को मिलता है जिनके बेहतर संपर्क होते हैं। राजन ने कहा कि हमें ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है, जिसमें किसान एक वाइब्रेंट फोर्स हों, जिसके लिए हमें अधिक संसाधनों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सभी दलों द्वारा सहमति जताने से यह राष्ट्रहित में होगा। source: oneindia