लखनऊ: देश के राज्यों में उत्तर प्रदेश राज्य सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन वाला राज्य है। सम्पूर्ण देश में सबसे अधिक पशुधन उत्तर प्रदेश में हैं। कृषि एवं पशुपालन एक दूसरे के पूरक व्यवसाय हैं कृषि कार्य से उत्पन्न बाई प्रोडक्ट का प्रयोग कृषि कार्य में पूर्व से होता आ रहा है। इस प्रकार कृषि के साथ पशुपालन एवं दुग्ध व्यवसाय ग्रामीण आबादी के द्वारा पूर्व से ही अंगीकृत व्यवसाय है। ग्रामीण अंचलों में कृषि एवं पशुपालन का अधिकांश कार्य महिलाओं द्वारा संपादित किया जाता है।
प्रदेश सरकार ने ग्रामीण अंचल की महिलाओं के विकास हेतु प्रदेश में दुग्ध विकास विभाग के तत्वावधान में पीसीडीएफ द्वारा महिला डेरी परियोजना का क्रियान्वयन भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की स्टेप योजना के माध्यम से किया जा रहा है। स्टेप योजना में 42 जिले आच्छादित हो चुके हैं तथा इन जिलों में कुल 2705 महिला दुग्ध सहकारी समितियां गठित हो चुकी हैं जिनमें 134459 महिलाओं को दुग्ध विपणन व्यवस्था से लिंक करते हुए आर्थिक लाभ के कार्यक्रम से लाभान्वित कराया जा चुका है।
उ0प्र0 सरकार की पहल के कारण परियोजना के क्रियान्वयन का प्रभाव यह है कि आर0के0वी0वाई0 में वित्त पोषित महिला डेरी परियोजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2013-14 में प्रदेश के आच्छादित 02 जनपदों में कुल 22 महिला दुग्ध समितियों का गठन किया जा चुका है। इन 22 महिला समितियों में 30 महिलाए प्रति समिति की दर से, गरीबी रेखा से नीचे यापन कर रही कुल 660 ग्रामीण सदस्य होंगी। इन महिला सदस्यों द्वारा 02 लीटर प्रतिदिन प्रति सदस्य की दर से कुल 18,000 लीटर प्रतिवर्ष औसत दैनिक दुग्ध उपार्जन किया जाएगा। उपार्जित दुग्ध को 25/-रुपये प्रतिलीटर की दर से विक्रय करने पर महिला सदस्यों को वित्तीय वर्ष 2013-14 में कुल 4.50 लाख प्रति समिति प्रतिवर्ष की दैनिक आय होगी। इसी दर से महिला सदस्यों की दैनिक आय में वृद्धि होगी, जिससे उनके जीवन स्तर में व्यापक सुधार हुआ है।
सरकार ने महिला डेरी परियोजना महिला दुग्ध उत्पादकों को प्राप्त होने वाले अन्य लाभों में दुधारू पशुओं के दुग्ध उत्पादन वृद्धि हेतु संतुलित पशु आहार वितरण (प्रति सदस्य 100 किग्रा, मूल्य 1500 रुपये) किया जाता है। वर्ष पर्यन्त हरे चारे की उपलब्धता हेतु उन्नत किस्म के हरे चारे की बीज की मिनी किट (प्रति सदस्य 250/रुपये) की उपलब्धता, पशुओं के बीमा हेतु प्रीमियम भुगतान (प्रति सदस्य 2250/रुपये) की व्यवस्था, ग्राम्य स्तर पर महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति के गठन हेतु अवस्थापना सुविधाए (प्रति समिति 1.41 लाख रुपये) उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। महिला दुग्ध उत्पादकों को मिलने वाले प्रशिक्षण से समिति स्तर पर पुरूष ओरिएण्टेशन प्रशिक्षण प्रति समिति रुपये 1500/-फारमर इण्डक्शन प्रोग्राम 5000 रुपये प्रति समिति महिला सचिव प्रशिक्षण रुपये 6000/- प्रति समिति, प्रबंध कमेटी प्रशिक्षण रुपये, 10,800/-प्रति समिति, पशुपालन एवं हरा चारा प्रशिक्षण रुपये 16,000 /- प्रति समिति लाभ होगा।
राज्य सरकार की कल्याणकारी महिला डेरी परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रही कृषक परिवार/दुग्ध व्यवसाय में संलग्न परिवार की महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण की एक योजना है, जिसके अंतर्गत ग्रामीण स्पर पर महिलाओं की दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति का गठन कर महिलाओं को सदस्य बनाते हुए उन्हें दुग्ध विक्रय करने की समुचित व्यवस्था ग्राम्य स्तर पर ही उपलब्ध कराई जाती है। इस परियोजना के लाभार्थियों को महिला सहकारी दुग्ध समितियों के माध्यम से दुग्ध विपणन व्यवस्था से लिंक किया जाता है।
इन महिला समितियों में महिलाएं अपने दुधारू पशुओं से उत्पादित दुग्ध का विक्रय करके दुग्ध से प्राप्त धनराशि से अपना आर्थिक स्तर समुन्नत बनाती हैं। परियोजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों (जिनमें मात्र महिलाएं ही सदस्य पदाधिकारी एवं कार्मिक है) का गठन कर महिलाओं की आय में सार्थक वृद्धि करना तथा उन्हें कार्यपरक शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान कर उनमें स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता व परिवार कल्याण जैसे विषयों के प्रति जागरूकता विकसित करना है।
दुग्ध सहकारिता में महिला समितियों से हो रहे औसत दैनिक दुग्ध उर्पाजन 89815 लीटर प्रतिदिन के आधार पर औसतन 22.45 लाख रुपये प्रतिदिन दुग्ध मूल्य भुगतान महिलाओं की आय में सार्थक वृद्धि की गई है जो वार्षिक आधार पर रु0 81.94 करोड़ है।
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