मुंबई: मुंबई के घनी आबादी वाले इलाके में मंगलवार को एक रिहायशी इमारत के गिर जाने से कम से कम 11 लोगों की मौत हो गयी। मलबे में अभी भी 40 से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है। इसी के साथ ही महानगर के चरमराते बुनियादा ढांचे ने एक बार फिर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। स्थानीय निकाय के अधिकारियों ने बताया कि दक्षिणी मुम्बई में डोंगरी इलाके की एक संकरी गली में करीब 100 साल पुरानी चार मंजिला रिहायशी इमारत पूर्वाह्न गिर गई।
एनडीआरएफ ने कहा कि छह पुरुष, चार महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गयी, वहीं आठ लोग घायल हो गये। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के अधिकारियों ने मृतक संख्या चार बताई थी। इससे पहले महाराष्ट्र के आवास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने बताया था कि प्राथमिक सूचना के अनुसार इस हादसे में 12 से 13 लोगों की मौत हुई है। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि टांडेल मार्ग पर स्थित केसरबाई बिल्डिंग गिरने से नौ लोग घायल भी हुए हैं। शाम होते होते बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी बचाव कार्य में जुट गये और मलबा हटाने में मदद कर रहे हैं। भीड़भाड़ वाला इलाका होने के कारण एम्बुलेंस मौके पर नहीं पहुंच पायीं और उन्हें घटनास्थल से 50 मीटर की दूरी पर खड़ा करना पड़ा।
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि इमारत करीब 100 साल पुरानी है लेकिन वह खस्ताहाल इमारतों की सूची में नहीं थी, उसे पुन:विकास के लिए डेवेलपर को दिया गया था। इस बिल्डिंग में 10-15 परिवार रह रहे थे। दमकल विभाग, मुंबई पुलिस और निगम अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं लेकिन संकरी गलियों के कारण राहत एवं बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं।
मुस्लिम बहुल इस इलाके में दुर्घटनास्थल पर स्थानीय लोग और वहां पहुंचे अन्य लोग बचावकर्मियों की मदद करते हुए नजर आये। उन्होंने मानव श्रृंखला बनाकर मलबा हटाने में हाथ बटाया। वहां बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किये गये हैं। संकरी गलियों की वजह से बचाव काम में पहले ही बाधा आ रही थी। उस पर मंत्रियों, विधायकों, विपक्षी नेताओं आदि के पहुंचने से उसमें और भी देरी हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों की मौत पर दुख जताया। प्रधानमंत्री कार्यालय ने मोदी के हवाले से ट्वीट किया, ”मुंबई के डोंगरी में इमारत गिरने की घटना दुखद है। मैं मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। महाराष्ट्र सरकार, एनडीआरएफ और स्थानीय अधिकारी राहत अभियान में लगे हैं और जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं।”
घटनास्थल पर दिल दहलाने वाले दृश्य है जहां लापता लोगों के परिजन अपने प्रियजनों के जिंदा होने की चाह के साथ किसी अच्छी खबर के इंतजार में डटे हुए हैं।
मुंबई के मेयर विश्वनाथ महादेश्वर ने कहा कि उन्होंने नगर आयुक्त को मामले की जांच शुरू करने को कहा है। एक अधिकारी ने बताया कि बृहन्मुम्बई महानगरपालिका बीएमसी) ने इमामबाड़ा नगरपालिका उच्चतर माध्यमिक कन्या विद्यालय में एक आश्रयस्थल बनाया है। मौके पर पहुंचे मुम्बादेवी के विधायक अमीन पटेल ने कहा कि हमारा अंदाजा है कि मलबे में अभी भी 10-12 परिवार फंसे हुए हैं। बचाव प्रयासों के बीच इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि भवन का स्वामित्व किसके पास है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह इमारत महाराष्ट्र आवास एवं विकास प्राधिकरण म्हाडा) की है। हालांकि म्हाडा के मरम्मत बोर्ड के प्रमुख विनोद घोसालकर का कहना है कि इमारत संस्था की नहीं थी।
विधायक भाई जगताप ने कहा कि कुछ बाशिंदों ने आवास प्राधिकरण से शीघ्र कदम उठाने की अपील की थी क्योंकि यह बिल्डिंग बहुत पुरानी थी और लंबे समय से जर्जर दशा में थी। वैसे इस बिल्डिंग के गिरने के बाद भी इसके कुछ हिस्से खड़े हैं। एक अधिकारी ने कहा कि इस साल करीब 500 इमारतें जर्जर घोषित की गयी थी लेकिन उनमें से केवल 68 को ही खाली कराया गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा, ” यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुंबई में हर साल मानसून के दौरान कुछ ऐसा हो जाता है। दीवारें ढह जाती हैं, सड़कों में गड्ढ़े हैं जहां लोग मरते है और बच्चे मेनहोल में गिर जाते हैं।” उन्होंने कहा कि मुम्बई वासियों को बार बार होने वाली ऐसी समस्याओं के लिए सरकार से स्पष्टीकरण मांगना चाहिए। प्रभावित क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात थे। Source Khabar India TV