नई दिल्ली: पिछले चार वर्षों में प्रमुख नीति निर्णयों और अधिक कुशल और प्रभावी आंकड़ाप्रबंधन और प्रसार के लिए नई तकनीक और प्रणालियों को अपनाने के मामले में बहुत महत्वपूर्ण वर्ष रहे हैं। देश के उभरते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में आंकड़ाआवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सांख्यिकीय प्रणाली में सुधार के लिए पिछले चार वर्षों के दौरान किए गए प्रमुख पहलों में निम्नलिखित शामिल हैं:
i. सरकार ने आधिकारिक सांख्यिकी के उत्पादन और प्रसार में अच्छीप्रथाओं और वृत्तिकनैतिकता को बढ़ावा देने के लिए 2016 में आधिकारिक सांख्यिकी के संयुक्त राष्ट्र के मौलिक सिद्धांतों को अंगीकार किय। इन सिद्धांतों कोआगे बढ़ाने के लिए, आधिकारिक सांख्यिकी पर एक राष्ट्रीय नीति विकसित की जा रही है।
ii. सांख्यिकी अधिनियम, 2008 काअधिकार-क्षेत्रजम्मू-कश्मीर राज्य तक बढ़ाने के लिए सांख्यिकी संग्रह (संशोधन) अधिनियम, 2017अधिनियमित किया गया।
iii. सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अनुमानों के लिए आधार वर्ष संशोधन किया गया। आधार वर्षों के अगले संशोधन के लिए कदम उठाए गए हैं।
iv. सरकार ने जीडीपी के आधार वर्ष के संशोधन के लिए राज्य तथा जिला स्तरों पर आर्थिक आंकड़ों की गणना हेतु वर्तमान मानकों के उन्नयन और नए मानकों के विकास के लिए प्रो.रवींद्र एच.ढोलकिया, पूर्व-आईआईएम की अध्यक्षता में उप-राष्ट्रीय लेखोंहेतु हाल ही में एक समिति गठित की है। इससे पहले ऐसी समिति की स्थापना 1974 में हुई थी।
v. मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग द्वारा अनुमोदित सामान्य राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन ढांचे के अनुसार सांख्यिकीय उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा स्वैच्छिक अनुपालन के लिए अप्रैल, 2018 में आधिकारिक सांख्यिकी के लिए गुणवत्ता आश्वासन पर सामान्य दिशानिर्देशअधिसूचित किए।
vi. मंत्रालय ने सीपीआई, आईआईपी और डब्ल्यूपीआई जैसे सूचकांकोंकी गुणवत्ता में सुधार हेतुसरकारी एजेंसियों की सहायता के लिए अप्रैल, 2018 में सामाजिक-आर्थिक सूचकांक पर सामान्य दिशानिर्देशों को भी अधिसूचित किया।
vii. रोजगार औरबेरोजगारी पर आंकड़ों की बारंबारमांग को पूराकरने के लिए, मंत्रालय ने अप्रैल, 2017 में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) आरंभकिया।
viii. सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) पर प्रगति की निगरानी के लिए राष्ट्रीय संकेतक ढांचे का प्रारूप विकसित किया गया है।
ix. सरकार कीडिजिटल इंडिया पहल के हिस्से के रूप में, इस मंत्रालय ने आंकड़ासंग्रहण,संकलन और प्रसार के लिए नई डिजिटल प्रौद्योगिकियों की शुरुआत की। मंत्रालय ने सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षणों और आर्थिक गणना के आंकड़ोंतक पहुंच कोसक्षम बनाने के लिए एक वेब आधारित माइक्रो डेटा आर्काइवविकसित किया है।
x. मंत्रालय ने आधिकारिक सांख्यिकी में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए हुबली में आयोजित स्मार्ट इंडिया हैकथॉन 2018 में भाग लिया है। इंजीनियरिंग छात्रों की टीमों द्वारा विकसित प्रोटोटाइप सॉल्यूशन्स को परिशोधनोंके लिए विचार किया जा रहा है।
xi. मंत्रालय की राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रणाली प्रशिक्षण अकादमी (एनएसएसटीए) ने 132 विभिन्न पाठ्यक्रमों में 2700 से अधिक कर्मियों को आधिकारिक आंकड़ों पर प्रशिक्षण प्रदान किया है।
xii. राज्य सांख्यिकीय सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम के लिए सहायता के माध्यम से, मंत्रालय नेअपनी सांख्यिकीय प्रणाली में सुधार के लिए 14 राज्यों/संघ-राज्य क्षेत्रों के लिए 276 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की है तथा और भी राज्य/संघ-राज्य क्षेत्र इस योजना में शामिल हो रहे हैं।
xiii. पिछले चार वर्षों के दौरान, एनएसएसओ ने भूमि और पशुधन, आवास की स्थिति, असंगठित उद्यम, घरेलू पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी प्रासंगिकता के विभिन्न विषयों पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण आयोजित किए हैं।
xiv. विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में लगे सभी उद्यमों और प्रतिष्ठानों की सूची और गतिविधियों तथारोजगार के आकार की प्रकृति पर आंकड़े उपलब्ध कराने के लिए,छठीआर्थिक गणना के परिणाम 2016 में जारी किए गए थे।
xv. भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) इसमंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय है। क्रिप्टोलॉजी और सुरक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान करने और विषय क्षेत्र में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित करने के लिएभारतीय सांख्यिकी संस्थान मेंआर.सी. बोस क्रिप्टोलॉजी एंड सिक्योरिटी बोस सेंटर स्थापित किया गया। आईएसआई ने सैद्धांतिक, अनुप्रयुक्तसांख्यिकीऔर अर्थशास्त्र में अनुसंधान करने के लिए कोलकाता में प्रतिदर्श और आधिकारिक सांख्यिकीय इकाई (एसओएसयू) की स्थापना की है। तेजपुर (असम) केंद्र के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आईएसआई को वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
xvi. उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सांख्यिकीय प्रणाली को मजबूत करने के लिए सरकार ने विभिन्न कदम उठाए हैं। सिक्किम, मिजोरम और मणिपुर जैसेउत्तर-पूर्वी राज्यों को उनके सांख्यिकीय प्रणालियों को मजबूत करने और बेहतर आंकड़ाप्रवाह के लिए 46.76 करोड़ रूपये प्रदान किए गए थे। एनएसएसओ के विभिन्न सर्वेक्षण करवानेऔर उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सर्वेक्षणों की पहुंच बढ़ाने केलिए उत्तर-पूर्वीराज्यों के अर्थ और सांख्यिकी निदेशालयों (डीईएस) को 14.80 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई। आइजॉल(मिजोरम) और इटानगर (अरुणाचल प्रदेश) में एनएसएसओ के दो नए क्षेत्रीय कार्यालयखोलने तथाउत्तर-पूर्व में अगरतला (त्रिपुरा) और इम्फाल (मणिपुर) में दो उप क्षेत्रीय कार्यालयों के उन्नयन की प्रक्रिया आरंभ की गई है।
xvii. संघीय भावना के अनुरूप, मंत्रालय केंद्रीय और राज्य सांख्यिकीय संगठनों कावार्षिक सम्मेलन आयोजित करतारहा है जिसमें आम सांख्यिकीय मुद्दों पर चर्चा की जाती है और उनकासमाधान किया जाता है।
xviii. भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकीय मंचों पर सक्रिय रूप से भाग लेतारहा है। भारत ने ब्रिक्स देशोंके राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालयों के प्रमुखों की आठवीं बैठक की 2016 मेंजयपुर में और सार्क सांख्यिकीय संगठनों के प्रमुखों की 8वीं बैठक की2016 में दिल्ली में मेजबानी की। भारत संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग के अंतर्राष्ट्रीय तुलना कार्यक्रम(आईसीपी)में भी वर्षों से भाग लेता रहा है।
xix. सरकार ने 29 जून,स्वर्गीय प्रोफेसर पी.सी. महलनोबिस की जयंती को सांख्यिकी दिवस के रूप में घोषित किया है। सांख्यिकी एजेंसियों काध्यान केंद्रित करने के लिए प्रत्येक सांख्यिकी दिवस पर एक वर्ष के लिए एक मुख्य-विषयकी घोषणा की जाती है। 12वां सांख्यिकी दिवस 29 जून, 2018 को मनाया गया था जोस्वर्गीयप्रोफेसर पी.सी. महलनोबिस की 125वीं जयंती थी। मुख्य-विषय “आधिकारिक सांख्यिकी में गुणवत्ता आश्वासन” की घोषणा इस दिन की गई थी। भारत के माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा 125 रुपये का एक स्मारक सिक्का और 5 रुपये का परिसंचरण सिक्का जारी किया गया।
xx. सरकार कीप्रमुख योजनाओं के साथ अभिसरण समेत आम जनता की कल्याण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पिछले चार वर्षों के दौरान संसद सदस्यस्थानीय विकास योजना (एमपीएलडीएस) के सदस्यों के दिशानिर्देशों में कई संशोधन किए गए हैं।सभी हितधारकों के उपयोग के लिए एक नया एकीकृत एमपीलैड्सपोर्टल विकसित किया गया है। यह माननीय सांसदों, जिला प्राधिकरणों और आम जनता सहित सभी हितधारकों के लिए संदर्भ का एकल बिंदु प्रदान करता है और इस तरह यह इसयोजना के तहत किए गए कार्यों के निष्पादन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व लाता है। एमपीलैड्सकीसभी निधियांकेवल इस वेबसाइट के माध्यम से जारी की जा रही हैं। एमपीलेड्सके लिए एक सूचनाप्रदडैशबोर्ड विकसित किया गया है जो विभिन्न स्तरों और समयानुसारजानकारी प्रदान करता है।
xxi. यहमंत्रालय150 करोड़ या उससे अधिक लागत वालीकेन्द्रीय क्षेत्र की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी के लिए जिम्मेदार है। 01-03-2018 तक, इस तरह की 1304 परियोजनाओं की ऑनलाइन कंप्यूटरीकृत निगरानी प्रणाली (ओसीएमएस) के माध्यम से निगरानी की जा रही है। पिछले चार वर्षों के दौरान, निगरानी वालीपरियोजनाओं की संख्या 710 से बढ़कर 1304 हो गई है। निगरानी के परिणामस्वरूप,मूल लागत के संबंध मेंमार्च 2014 में 19.4% कीलागत वृद्धि कम होकर फरवरी, 2018 में 13.4% तक आई है और मूल अनुसूची के संबंध में समय वृद्धि 2014 में लगभग 30% से कम होकर 2018 में 20% हुई है।