नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है की देश भर के प्राइवेट अस्पताल एसिड अटैक विक्टिम का फ्री में इलाज करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले साल जुलाई के कोर्ट के आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए। अदालत ने कहा कि पहली बार इलाज करने वाला अस्पताल एसिड अटैक विक्टिम को इस बाबत सर्टिफिकेट भी जारी करे।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर की अगुवाई वाली बेंच ने एसिड अटैक विक्टिम के पुनर्वास, मुआवजा और उसके इलाज को लेकर विस्तार से आदेश पारित किया। अदालत ने साफ किया कि फ्री में इलाज का मतलब फ्री में दवाएं, फ्री बेड दिया जाना और इलाज के दौरान फूडिंग भी फ्री होगा। इलाज में प्लास्टिक सर्जरी भी शामिल है। अदालत ने कहा कि जो अस्पताल पहली बार इलाज करेगा वो विक्टिम के नाम सर्टिफिकेट जारी करेगा। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि विक्टिम को 3 लाख रुपये मुआवजा तत्काल दिलाया जाए।
पिछले साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने एसिड की खुली बिक्री पर रोक लगा दी थी। अदालत ने कहा था कि लाइसेंस धारक दुकानदार ही एसिड बेच सकेंगे और उन्हें खरीदार का डिटेल और आई कार्ड लेना होगा। खरीदार का रेकॉर्ड रखना होगा और इसके उल्लंघन पर कानूनी कार्रवाई होगी।
एसिड अटैक विक्टिम लक्ष्मी की ओर से पेश वकील अपर्णा भट्ट ने दलील दी कि प्राइवेट अस्पताल कई बार विक्टिम को दाखिल करने से मना करते हैं। वे उन पर सरकारी अस्पताल जाने का दबाव डालते हैं।
एसिड अटैक पर सख्त कानून 16 दिसंबर 2012 के गैंग रेप की घटना के बाद कानून में हुए बदलाव के तहत ऐसिड अटैक करने के दोषियों को सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। कानूनी जानकार अमन सरीन बताते हैं कि ऐसिड अटैक के मामले में पहले आईपीसी में अलग से कोई प्रावधान नहीं था और आईपीसी की धारा-326 (गंभीर रूप से जख्मी करना) के तहत ही केस दर्ज किया जाता था। इसके लिए दोषी पाए जाने पर 10 साल तक कैद या फिर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान था। ऐसिड अटैक की कोशिश में कम-से-कम 5 साल कैद होगी। ज्यादा से ज्यादा सजा 10 साल की होगी।