दो दोस्त, अभिषेक चंद्रा और कुमार साप्रा अपना दशक से चला आया सहयोग लेकर पुरी दुनिया में
समय के साथ साथ फिल्म और मीडिया का महत्त्व बदल रहा है। ज्यादातर दर्शक अभिनेता, कलाकार और प्रस्तोता को ही पहचानतें हैं, लेकीन अभिनेता तो एक समूह का हिस्सा होते हैं, प्रतिभा का वह ब्रह्मांड जो निर्माता की देखरेख में होतें हैं। अभिषेक चंद्रा, भारतीय फिल्म उद्योग जिसे हम बॉलिवूड के नाम से जानते हैं उसका एक उभरता हुआ नाम है। उन्होंने, बॉलीवुड के दिग्गज सुभाष घई (भारतीय फिल्म निर्देशक, निर्माता, पटकथा लेखक) जो मुख्य रूप से हिंदी सिनेमा में अपने काम के लिए जानें जातें हैं, से अपनी कला सीखी है । कालीचरण (1976), कर्ज़ (1980), हीरो (1983), मेरी जंग (1985), घीरार (1986), राम लखन (1989), सौदागर (1991), खलनायक (1993), परदेस (1997), ताल (1999) तथा ब्लैक अँड व्हाइट (2008) ये सुभाष घई की सबसे उल्लेखनीय फिल्में हैय 2006 में घई को सामाजिक समस्या पर बनायी फिल्म इक्बाल के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त हुआ है, अभिषेक भी अपना नाम भारतीय फिल्म उद्योग में लेकर मजबूती से आगे बढ रहें हैं। अभिषेक लगभग एक दशक से विज्ञापन फिल्में और संगीत वीडियो का निर्माण कर रहें हैं। मान्यता और सफलता साथ साथ ही आती है। भारत में लगातार 4 वर्षों से विज्ञापन फिल्मों के लिए सबसे बडा पुरस्कार एबी से, उन्हें 16 बार सम्मानित किया जा चुका है। विज्ञापन क्षेत्र में सबसे अच्छा काम करने के लिए एबी पुरस्कार दिया जाता है और ये विज्ञापन क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान है।
उनके लंबे समय से सहयोगी रहें कुमार साप्रा, जो खुद प्रतिभा के ज्वालामुखी है, फिलहाल अमेरिका में है। अभिषेक और उसकी कंपनी जोकर फिल्मस् पहली फिचर फिल्म बनाने के लिए तैयार है जिसमें साप्रा अभिनय करने जा रहें हैं और अभिषेक उसका निर्माण करेंगे। प्रसिद्ध उपन्यास ‘दी ग्रेट एक्सपेक्टेशन्स’ का विरोधी संस्करण पर ये फिल्म बनाई जा रही है। एक फिल्म निर्माता के रूप में चंद्रा की क्या योजनाऍं रहेंगी, यह जानना दिलचस्प होगा। पुछने पर उन्होंने कहा – ‘मैं साप्रा को 10 बरसों से जानता हूँ। नई दिल्ली में हमारे कॉलेज के दिनों से, जहॉं हमने कार्यक्रमों, कॉरपोरेट फिल्मस् पर एक साथ काम करना शुरू किया जिससे लेकर म्युझिक वीडियो, स्टेज शो, थिएटर करने लगे जहॉं बहुत सारा मैं निर्माण करता था और वह पेश करता थाय हमारा यह रचनात्मक बंधन और संघटन समय के साथ बढता ही चला गया। अब हम हमारी पहली फीचर फिल्म बनाने के लिए, जोकर फिल्मस् (अभिषेक की मुंबई स्थित प्रोडक्शन हाउस) और साप्रा के साथ लॉस एंजिल्स स्थित कविता राव की बॉलिवूड एन्टरटेंमेंट कंपनी, कर्माग्राफी के साथ सहयोग के लिए हाथ मिला रहें हैं। इस फिल्म में भारतीय और अमेरिकी संस्कृति का एक शानदार मिश्रण आप को मंत्रमुग्ध कर देगा। एक अमेरिकी परिवार और एक भारतीय लड़के के इर्दगीर्द कहानी घुमती है और ये दो महान सभ्यता और संस्कृतियॉं एक साथ मिलकर एक सुंदर सार्वभौमिक प्रेम कहानी बनाती है यह इस फिल्म की जड़ है। हर परियोजना अपने आप में अनूठी होती है, जब मुझे नये चुनौतियों का सामना करने पडता है और यह मुझे और भी जीवित कर देती है। लंबे समय से मेरी यह इच्छा थी की मुझे अपने बौध्दिक साथी साप्रा के साथ फिचर फिल्म के लिए संबध्द हो जाऊँ, लगता है प्रकृती ही हमें साथ ला रहीं है। सटीक और उत्कृष्टता हमारा हमेशा का वादा रहा है, और वह इस बार भी है, हॉं लेकीन, अधिक तीव्र और एक कदम आगे।’
फिचर लंबाई की फिल्म जिसका अभिषेक निर्माण कर रहें हैं, उसके अलावा, एमटीव्ही के लिए कार्माग्राफी के साथ वे कई हिंदी म्युझिक वीडियों का निर्माण और निर्देशन करने में जुटें हुए हैं। अभिषेक ने बताया श्हिंदी म्युझिक वीडियो तो मेरा बलस्थान है, यादगार संगीत वीडियो बनाना मुझे पसंद है। मैं बॉलीवुड के गाने सुनते सुनते ही बडा हुआ हूँ और अच्छा संगीत मुझे अच्छा दृश्य दिखाने के लिए उत्तेजित करता है।’ इस बार उनकी अमेरिका यात्रा में कर्माग्राफी के लिए वेब पर संगीत शृंखला बनाना उनके सहयोग का हिस्सा है। साप्रा एमटीवी म्यूजिक वीडीयो के लिए रैप करेंगे और वेब शृंखला में एक दिलचस्प किरदार भी करेंगे। साप्रा अपने किरदार के प्रति काफी उत्तेजित है और उन्होंने संकेत दिया की यह किरदार काफी विचित्र और दिलचस्प होगा और ऐसा अब तक कभी किया गया नहीं है। वह जोकर से भी दुष्ट रहेगा और मास्क वाले जिम केरी से खूब मजाकिया। लगता है कि ये दो दोस्त दिलचस्प परियोजनाओं के साथ अपनी यात्रा आगे बढा रहें हैं, जिसके लिए वे काफी उत्तेजित है और इस सहयोग के फल के लिए बेसब्री से इंतजार करने के लिए हमें निश्चित रूप से प्रर्याप्त कारण दिया है। उस क्षण की प्रतिक्षा करतें हैं।