नई दिल्ली: आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के सीईओ डॉ. इन्दु भूषण और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ. आन.एन. टंडन ने आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (एबी-एनएचपीएम) को लागू करने में आपसी सहयोग के मुद्दों पर बैठक की। आईएमए के प्रतिनिधियों ने एबी-एनएचपीएम के बेहतर कार्यान्वयन के लिए अस्पतालों के पैनल बनाने, जागरूकता फैलाने तथा लाभार्थियों की पहचान करने जैसे क्षेत्रों में आपसी समर्थन पर सहमति जताई।
डॉ. टंडन ने कहा कि आईएमए को एबी-एनएचपीएम से जुड़ने पर गर्व है। हम जागरूकता कार्यक्रम में सहायता देने के लिए भी तत्पर हैं। हम दूसरे और तीसरे स्तर के शहरों में गुणवत्तापूर्ण सेवा प्रदाताओं का एक विशाल नेटवर्क बनाना चाहते हैं।
डॉ. इन्दु भूषण ने कहा कि आईएमए, एबी-एनएचपीएम का एक विशिष्ट हितधारक है। एबी-एनएचपीएम की सफलता के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच बनाने और मरीज आधारित देखभाल के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण है। इस बैठक में अस्पतालों को भुगतान करने, अनुभवों को साझा करने व शिकायत निपटाने, कागज रहित व्यवस्था विकसित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अवसंरचना की स्थापना करने आदि विषयों पर चर्चा हुई। इन विषयों पर रचनात्मक सुझावों सामने आए।
उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दिनेश अरोड़ा ने कहा कि अस्पतालो की एनएबीएच -मान्यता वांछनीय है, परंतु यह आवश्यक नहीं है, क्योंकि गुणवत्ता और मरीज की सुरक्षा एबी-एनएचपीएम का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग ने लागत संबंधी अध्ययन किया है। इसमें लाभ पैकेजों व दरों के समायोजन प्रस्तावित हैं। इसलिए आईएमए को अपने ज्ञान तथा पेशेवर विशेषज्ञता के आधार पर एनएचए को समर्थन देने की जरूरत है।
डॉ. इन्दु भूषण ने जोर देते हुए कहा कि एबी-एनएचपीएम के अंतर्गत लक्षित वर्ग को अधिकतम लाभ प्राप्त होना चाहिए तथा दूसरे और तीसरे स्तर के शहरों समेत ग्रामीण और शहरी इलाकों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को विस्तार प्रदान किया जाना चाहिए। यह तभी संभव है, जब सरकार, निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता तथा आईएमए जैसे संगठन पूरे समाज की स्वास्थ्य स्थिति को बेहतर बनाने के लिए एक साथ मिलकर काम करें।
एबी-एनएचपीएम को इस तरह तैयार किया गया है कि यह 10 करोड़ से ज्यादा गरीब व वंचित परिवारों को वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और महंगे स्वास्थ्य देखभाल से सुरक्षा प्रदान करेगा। इसमें नकद विहीन अस्पताल में इलाज कराने की सुविधा है। इसके अंतर्गत प्रत्येक परिवार को इलाज के लिए पांच लाख रुपये प्रति वर्ष देने का प्रावधान है।