नई दिल्ली: भारत में जैव ईंधन – भावी रास्ता विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार 13 जुलाई, 2015 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित किया जा रहा है। इस सेमिनार को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय आयोजित कर रहा है।
माननीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेंद्र प्रधान सेमिनार का शुभारंभ करेंगे। पदम विभूषण डॉ. आर ए माशेलकर चांसलर एसीएसआईआर, एनसीएल, पुणे सेमिनार में मुख्य अतिथि होंगे। इसमें पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सचिव श्री के डी त्रिपाठी और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। सभी तेल विपणन कंपनियों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक भी इसमें भाग लेंगे।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय भारत में जैव ईंधन की खपत बढ़ाने के जरिए जैव-ईंधन कार्यक्रम के तेजी से कार्यान्वयन का खाका तैयार कर रहा है। इसके लिए कर्नाटक राज्य जैव ईंधन विकास बोर्ड के पूर्व चेयरमैन श्री वाई बी रामकृष्ण की अध्यक्षता में कार्य समूह बनाया गया है। समूह को विभिन्न मंत्रालयों के बीच तालमेल बनाने, जागरूकता पैदा करने और देश में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए रूपरेखा तैयार करने का काम सौंपा गया है। इसके लिए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस यह राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित कर रहा है।
आरंभिक सत्र के अलावा जैव डीजल, जैव इथेनॉल पर भी सत्र होंगे तथा नई प्रौद्योगिकियों और प्रयासों के बारे में प्रस्तुति भी दी जाएगी। जैव डीजल और जैव इथेनॉल पर सत्रों में इस क्षेत्र में पेश आ रही बाधाओं और मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा। यह विचार भी किया जाएगा कि इन बाधाओं से कैसे पार पाना है और देश में ईंधन में इथेनॉल मिलाने के कार्यक्रम का प्रभावी कार्यान्वयन कैसे किया जाए।
नई प्रौद्योगिकियों और प्रयासों पर सत्र में कृषि अवशिष्ट, नगरीय ठोस कचरा और प्लास्टिक कचरा जैसे विभिन्न संसाधनों पर ध्यान दिया जाएगा। इसमें उन प्रौद्योगिकियों पर भी ध्यान दिया जाएगा जो इस तरह के कचरे को ईंधन में बदल सके और यह तेल जीवाष्म ईंधन का स्थान ले सके।
इस सेमिनार का उद्देश्य देश में जीवाष्म ईंधन में इथेनॉल मिलाने के कार्यक्रम को तेज करना और स्थानीय रूप से उत्पन्न और निर्मित जैव ईंधन के इस्तेमाल के जरिए जीवाष्म ईंधन की खपत घटाना, विदेशी मुद्रा बचाना, ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार पैदा करना और पर्यावरण संरक्षण करना है।
सेमिनार में जैव डीजल एवं जैव इथेनॉल उद्योग के प्रतिनिधि, तेल विपणन कंपनियों के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी, शोधार्थी, शिक्षाविद और कई मंत्रालयों के सचिव तथा राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के भी भाग लेने की आशा है।