देहरादून: राज्य के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने एवं कृषि संसाधनों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने हेतु मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा औषधी पौधे क्षेत्र में
अभिनव पहल की जा रही है। बीजापुर हाउस में मुख्यमंत्री श्री रावत ने औषधीय पौधा विशेषज्ञ प्रो.डाॅ.रवि जी एवं वन विभाग व संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की।
बैठक में मुख्यमत्री श्री रावत ने कहा कि औषधीय पौधों के क्षेत्र में राज्य सरकार विभिन्न तरह की योजनाएं संचालित कर रही है। इन योजनाओं के तहत कई ग्रामीण महिलाओं एवं युवाओं को स्वरोजगार हेतु जोड़ा जा रहा है। राज्य का पर्यावरण ऐसपारागस की खेती के अनुकूल है। उन्होंने निदेशक कृषि को निर्देश देते हुए कहा कि प्रथम चरण में औषधीय पौधे ऐसपारागस की खेती हेतु देहरादून, धनोल्टी, मुनस्यारी व गदरपुर आदि स्थानों पर पाइलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाए, साथ ही इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए। उन्होंने कास्तकारों को इसकी जानकारी दिये जाने के आदेश दिये। उन्होंने कहा कि औषधीय पौधों की कास्तकारी हेतु युवाओं व महिलाओं को प्रोत्साहित किया जाए, ताकि आने वाले समय में भी लोग अन्य को जागरूक करने के साथ-साथ रोजगार देने का काम करेंगे। राज्य सरकार अपने कास्तकारों को सम्पन्न बनाने हेतु प्रतिबद्ध है। औषधीय पौधों की कास्तकारी से राज्य के किसान सम्पन्न होंगे और राज्य आर्थिक रूप से मजबूत होगा। उन्होंने अधिकारियेां को निर्देश देते हुए कहा कि हाॅब्स की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाली बैल्ट तैयार कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
प्रो. डाॅ. रवि जी ने बताया कि राज्य का पर्यावरण औषधीय पौधे ऐसपारागस के लिए अनुकूल है। इस औषधीय पौधे की मांग जोरो पर है। हमारे देश में प्रतिवर्ष लगभग 700 करोड़ रूपये की औषधीय फसलों को अन्य देशों से मंगाया जाता है। इस बहुमूल्य प्रजाति के पौधों की खेती करके कास्तकारों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाया जा सकता है। आधी हैक्टर भूमि पर कास्तकार प्रतिवर्ष ढ़ाई लाख रूपये की आमदनी कर सकते है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में औषधीय पौधों हाॅब्स, कुटकी, बनककड़ी व खसघास की खेती की भी अपार संभावनाएं है। इनकी खेती करके कास्तकार, आर्थिक रूप से संपन्न होने के साथ ही अपनी बंजर पड़ी भूमि को फिर से आबाद कर सकते हंै।