केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री, श्री जी किशन रेड्डी और केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज गुवाहाटी स्थित भारतीय उद्यमिता संस्थान (आईआईई) की 18वीं वार्षिक आम बैठक की सह-अध्यक्षता की।
मंत्रियों ने संस्थान के कामकाज की समीक्षा की और भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा की। बैठक के दौरान उत्तर पूर्व क्षेत्र में संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण प्रदान करने का सुझाव दिया गया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने सुझाव दिया कि भविष्य के कौशल पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए और आईआईई को जमीनी स्तर पर कई मंत्रालयों के साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान को आईआईटी और आईआईएम जैसे अग्रणी उत्कृष्टता केंद्रों के साथ तालमेल करना चाहिए और डेटा एनालिटिक्स आदि जैसे अत्याधुनिक पाठ्यक्रमों में छात्रों के लिए डिग्री पाठ्यक्रम प्रदान करना चाहिए। श्री प्रधान ने कहा कि इससे उनके रोजगार के अवसर को बढ़ावा मिलेगा और संस्थान भी मजबूत होगा।
केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री, श्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि आईआईई को पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और इसकी एजेंसियों एनईआरएएमएसी और एनईएचएचडीसी के साथ निकट समन्वय के साथ काम करना चाहिए। श्री रेड्डी ने कहा कि कौशल विकास एक प्राथमिकता है और परियोजनाओं को पीएम-डिवाइन योजना के अंतर्गत समर्थन प्रदान किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ प्रमुख क्षेत्रों जैसे आतिथ्य, नर्सिंग, निजी सुरक्षा और कृषि आदि को आईआईई के संचालन का प्रमुख क्षेत्र माना जा सकता है।
दोनों मंत्रियों ने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के अंतर्गत कई गतिविधियों की तैयारियों पर एक समीक्षा बैठक की सह-अध्यक्षता भी की। बैठक में उत्तरी पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, रेल मंत्रालय और युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
प्रधानमंत्री के निर्देशों के अनुसार, उत्तर पूर्व के विभिन्न क्षेत्रों में छात्रों के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान वाले सत्रों का आयोजन किया जाएगा जिससे उन्हें विविध संस्कृतियों, परंपराओं, भाषाओं आदि के बारे में निकट समझ प्राप्त करने में सहायता प्राप्त हो सके।
केंद्रीय मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने कहा है कि उत्तर पूर्व के छात्रों को शेष भारत के साथ घनिष्ठ सांस्कृतिक और भावनात्मक संबंध स्थापित करने में सक्षम बनाने के लिए विभिन्न पर्यटन स्थलों का दौरा करने के लिए चुना जाएगा। 100 विश्वविद्यालयों में से कम से कम 20,000 छात्रों को अनुभवात्मक शिक्षा का अनुभव प्राप्त करने हेतु भारत के विभिन्न हिस्सों का दौरा करने के लिए चयनित किया जाएगा।
दोनों मंत्रियों ने यात्राओं को सफलतापूर्वक संपन्न करने में सहायता प्रदान करने और चयनित विश्वविद्यालयों को आवश्यक सहायता देने के लिए एक बहु-मंत्रालय समिति का गठन करने का भी सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि इन यात्राओं के दौरान प्रतिष्ठित संगठनों की यात्रा, प्रतिष्ठित हस्तियों के साथ बातचीत, सफल स्टार्टअप के साथ संपर्क और इस क्षेत्र की पर्यटन क्षमता के बारे में जागरूकता प्रमुख एजेंडे में शामिल होगी। यह क्षेत्र की सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने और क्षेत्र की अनूठी क्षमता के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने का एक अवसर भी होगा।