नई दिल्ली: केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण, शिपिंग, सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज नदियों को आपस में जोड़ने पर संबंधित राज्यों के बीच सहमति विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि समुद्र में गिरने वाले पानी का उपयोग आवश्यकता वाले इलाकों में किया जा सके। उन्होंने राज्यों से कहा कि राज्य संबंधी विषयों पर सक्रिय विचार-विमर्श से समाधान निकाले, ताकि प्राथमिकता के आधार पर परियोजनाएं लागू की जा सकें।
देश की जल और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना के महत्व को दोहराते हुए श्री गडकरी ने कहा कि नदियों को आपस में जोड़ने की पांच परियोजना को शीघ्र लागू करने के लिए कदम उठाए गए हैं और इन परियोजनाओं को लागू करने के लिए सहमति ज्ञापन को संबंधित राज्य सरकारों से विचार विमर्श करके अंतिम रूप दिया जा रहा है। पांच परियोजनाओं में – केन-बेतवा संपर्क परियोजना, दमन-गंगा-पिंजाल संपर्क परियोजना, पार-तापी-नर्मदा संपर्क परियोजना, गोदावरी-कावेरी (ग्रैंड एनिकट) परियोजना तथा पार्वती-काली-सिंधु-चंबल परियोजना शामिल हैं। राज्य के बाहर से नदियों को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी ने नौ राज्यों – महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, ओडिशा, बिहार, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक तथा छत्तीसगढ़ – से 47 प्रस्ताव प्राप्त किए हैं। इन परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने से बाढ़ के समय आपदा में कमी आएगी, सिंचाई सुविधाओं में सुधार होगा, ग्रामीण कृषि में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे तथा निर्यात बढ़ेगा और गांव से बाहर जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आएगी। श्री गडकरी ने यह सुझाव भी दिया कि नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं की बाधाओं को दूर करने के लिए अंतर-राज्य तथा केन्द्र-राज्य विषयों को हल करने की उचित कानूनी व्यवस्था बनाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं में यह व्यवस्था है कि हिमालय की नदियों में उपलब्ध अधिक जल को भारत के उन प्रायद्वीप क्षेत्रों में भेजा जाए, जहां पानी आपूर्ति की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, लेकिन अनेक नदियों का पानी अधिक मात्रा में समुद्र में चला जाता है और इसका कोई उपयोग नहीं होता। नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं का उद्देश्य उन क्षेत्रों में पानी भेजना है, जहां पानी की कमी है।
श्री गडकरी ने विभिन्न राज्यों के मंत्रियों से ऐसे नदी बेसिनों को चिन्हित करने का अनुरोध किया, जहां सभी मांगे पूरी करने के बाद नदी का अधिक जल उपलब्ध है, जहां से पानी उन क्षेत्रों में भेजा जा सकता है, जहां पानी की कमी है, ताकि उन क्षेत्रों में सूखे की स्थिति में कमी की जा सके, कृषि उत्पाद बढ़ाया जा सके, जिससे समाज का सामाजिक-आर्थिक उत्थान हो सके।
जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण राज्य मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में हुए क्षेत्रीय सम्मेलनों में बातचीत से अनेक स्थानीय समस्याएं सुलझाई गई हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे सम्मेलनों तथा उसके बाद होने वाली बैठकों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने कहा कि केन्द्र नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं से संबंधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने में राज्यों का सहयोग ले, ताकि किसी तरह का अनावश्यक विलंबन नहीं हो। बैठक में आंध्र प्रदेश के जल संसाधन मंत्री श्री देवीनेनी उमा महेश्वर राव, कर्नाटक के जल संसाधन मंत्री श्री डी.के. शिव कुमार, उत्तराखंड के जल संसाधन मंत्री श्री सतपाल महाराज तथा तेलंगाना के सिंचाई मंत्री श्री टी. हरीश राय उपस्थित थे।