मुंबई: बाल दुर्व्यवहार पर आधारित फिल्म ‘गली गुलियां’ के निर्देशक दीपेश जैन का मानना है कि अल-अलग संस्कृतियों का बाल हिंसा पर अलग-अलग रुख होता है. वह फिल्म को कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में लेकर जा चुके हैं.
लॉस एंजेलिस के रहने वाले दीपेश जैन ने कहा, ‘जहां भी मैं फिल्म को लेकर गया, यह चर्चा का केंद्र बन गया. यह देखना शानदार है कि कैसे विभिन्न संस्कृतियां मेरी फिल्म में बाल अत्याचार पर अलग-अलग प्रतिक्रिया देती हैं. जब मैंने इसे ब्रिटेन में दिखाया, तो उन लोगों को यह बहुत ज्यादा हिंसक लगी. लेकिन, इजरायल में बच्चों की शारीरिक प्रताड़ना पर उन लोगों की वही प्रतिक्रिया रही (जैसा हम भारत में करते हैं)’.
दीपेश जैन ने घरेलू और बाल हिंसा पर काफी शोध किया है. उन्होंने कहा, ‘मैं बाल हिंसा पर डॉक्युमेंट्री बनाने के लिए रिसर्च कर रहा था, जिसे बनाने की मेरी योजना थी और इस पर रिसर्च कर रहा था कि कैसे इससे मानिसक समस्या हो सकती है. विभिन्न संस्कृतियों में बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं, जो हिंसा का शिकार होते हैं और सबसे बात यह है कि ऐसे बच्चों में 80 फीसदी शिजोफ्रेनिया होने की संभावना रहती है’.
निर्देशक ने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि टेक्सास (अमेरिका) में ऐसा एक बड़ा मामला सामने आया, जहां एक बच्चे पर पिता की हत्या करने के मामले में अदालत में मुकदमा चला. उसका पिता उसे बेरहमी से पीटा करता था और इस पर दुनियाभर में बहस हुई कि क्या एक बच्चे पर सारी जिम्मेदारी डाल देना उचित है जो अभी भी बड़ा हो रहा है.
‘गली गुलियां’ में अभिनेता मनोज बाजपेयी एक ऐसे शख्स के किरदार में हैं जो हिंसा का शिकार एक बच्चे को बचाने की पुरजोर कोशिश करते हैं. बता दें, फिल्म को दिपेश और शुची जैन द्वारा प्रोड्यूस किया गया है. 2017 में फिल्म को बुसान फिल्म फेस्टिवल में इन द शैडो नाम से रिलीज किया गया था. जिसके बाद फिल्म को 20 से ज्यादा फिल्म फेस्टिवल में रिलीज किया गया. फिल्म में मनोज बाजपेयी के साथ शहाना गोस्वामी, नीरज काबी, रणवीर शोर्य और ओम सिंह जैसे कलाकार भी हैं.