धूमधाम और शोर-गुल के साथ 13 सितंबर के दिन शुरू हुआ गणेश चतुर्थी का महोत्सव 23 सितंबर के दिन यानि आज के दिन समाप्त होगा। यह त्योहार पूरे 10 दिनों तक बनाया जाता है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी के दिन अनंक चतुर्दशी या अनंत चौदस के रूप में बनाया जाता है। इस दिन गणपति का विसर्जन किया जाता है।
अनंत चतुर्दशी पर गणपति का विसर्जन किया जाता है। इसका शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजे से 12 बजकर 30 मिनट तक दोपहर 2 बजे से साढ़े तीन बजे तक किया जाएगा। इस दिन कुछ अपने घरों में सत्यनारायण का पाठ भी करवाते हैं।
अनंत चतुर्दशी, 23 सितंबर सुबह 6 बजकर 29 मिनट ये लग रहा है और 24 सितंबर सुबह 7 बजकर 19 मिनट बजे तक रहेगा। इस दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा की जाती है। इस व्रत में स्नानादि करने के बा अक्षत, दूर्वा, शुद्ध रेशम और कपास के सूत से बने और हल्दी से रंगे हुए चौदह गांठ के अनंत की पूजा की जाती है। अनंतदेव का ध्यान करके इस शुद्ध अनंत, जिसकी पूजा की गई होती है, को पुरुष दाहिनी और स्त्री बायीं भुजा में बांधते हैं।
इस परंपरा की शुरुआत के पीछे का एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण है। इस दिन की गई पूजा से सभी दुखों का नाश होता है। इस दिन भगवान कृष्ण से पांडवों को इस दिन पूजा करने की सलाह दी थी जिसके बाद उनके संकटों से छुटकारा मिल गया था। साथ ही इस दिन विसर्जन के साथ-साथ अनंत सूत्र बांधने की भी मान्यता है। यह सूत्र लोगों को हर संकट से बचा कर रखता है। सुख और समृद्धि का आपार दरवाजा खुल जाता है।