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Gandhiji’s Ramrajya will remain incomplete unless villages are not developed: Vice President

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New Delhi: The Vice President of India, Shri M. Venkaiah Naidu has said that Mahatma Gandhiji’s Ramrajya will remain incomplete without development of villages and most of our population lives in villages and it is very important to pay special attention to their upliftment. He was addressing the inaugural session of 106th Bihar Diwas Celebrations and closing ceremony of Champaran Satyagrah: Centenary Year, in Patna, Bihar today. The Governor of Bihar, Shri Satya Pal Malik, the Chief Minister, Shri Nitish Kumar, the Deputy Chief Minister, Shri Sushil Kumar Modi and other dignitaries were present on the occasion.

The Vice President said that Bihar has glorious history in terms of culture and tradition. He recollected his young days and said that he was extremely impressed with the ideology of Lok Nayak Jayaprakash Narayan. He further said that Champaran has the special place in the history because of its association with Mahatma Gandhi. Gandhiji started his non-violent resistance against unjust rule from the place as a powerful strategy for the freedom struggle, Satyagraha originated from the holy land of Bihar, he added.

The Vice President said that Gandhiji’s experiments in Champaran enlightened the whole nation, One, finding the Truth, second – improving lives of ordinary people and building trust in public and third – continued efforts to achieve freedom.

The Vice President said that discrimination based on caste, untouchability, corruption, oppression of women, the ill effects of black money, are stigmatizing our society even after 70 years of independence. He further said that apart from this, differences in rural urban states, socio-economic inequalities are increasing. Mahatma Gandhi gave a message to remove the evils of child marriage and dowry practices for the honour of women and also argued against use of alcohol and called for prohibition, he added.

Following is the text of Vice President’s address in Hindi:

“आज पटना के इस ऐतिहासिक गांधी मैदान में उपस्थित आप सब को एवं समस्त बिहार वासियों को मैं बिहार दिवस की शुभकामना देता हूं। चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी के समापन समारोह में भाग लेकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।

ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक दृष्टि से बिहार एक गौरवशाली प्रदेश रहा है। प्रचीन काल में इसे मगध के नाम से जाना जाता था जिसकी राजधानी पाटलीपुत्र थी।

यह चाणक्य चन्द्रगुप्त और सम्राट अशोक जैसे महापुरूषों की भूमि है।

विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय की ज्ञान भूमि है। यह भगवान बुद्व, भगवान महावीर और गुरू गोविन्द सिंह की पवित्र धरती है। वीर कुंवर सिंह की वीर भूमि है।

महात्मा गांधीजी की विचारधारा के वाहक देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और 70 के दशक में संपूर्ण क्रांति का आह्वान करने वाले लोकनायक जय प्रकाश नारायण जी की इस महान भूमि को मैं नमन करता हूं। लोक नायक जयप्रकाश नारायण जी की विचारधारा से मैं अत्यंत प्रभावित हो गया था। भ्रष्टाचार के विरूद्ध, तानाशाही के विरूद्ध और लोकतांत्रिक मूल्यों के पुन:उत्थान के लिए चलाया गया संपूर्ण क्रांति के पावन यज्ञ में भाग लेने का सौभाग्य मुझे मिला। केवल मैं ही नहीं बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री भी जयप्रकाश जी के प्रमुख शिष्य रहे हैं।

यहाँ सूफी संतों ने अपने कार्य के द्वारा बिहार वासियों के बीच धार्मिक जागरण एवं सद्भावना का कार्य किया। इसी धरती पर महात्मा गांधीजी ने अपना सत्याग्रह का पहला प्रयोग किया।

यह वर्ष बिहार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज से 100 वर्ष पहले 1917 में महात्मा गांधीजी बिहार आये थै और चम्पारण के किसानों, मजदूरों के शोषण के विरोध में चम्पारण सत्याग्रह आरंभ किया था। इस घटना के 100वें वर्ष 2017 में बिहार सरकार द्वारा चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गये और गांधीजी के संदेश को घर-घर, जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया गया है।

गांधजी की स्मृति में मनाये जा रहे चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी के समापन समारोह में आकर मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।

चम्पारण और उसके आस-पास का क्षेत्र देश और दुनिया में गांधीजी के प्रयोग की भूमि के रूप में जाना जाता है। इस इलाके में नील की खेती कराने वाले अंग्रेजों ने चम्पारण के किसानों के साथ जो घोर अन्याय हो रहा था उसको गांधी जी ने अच्छी तरह समझ कर सरकार से इन समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए आग्रह किया था।

चम्पारण के किसान पंडित राजकुमार शुक्ल जी के आग्रह पर गांधीजी 10 अप्रैल, 1917 को पटना पहुंचे और चम्पारण जाकर सत्याग्रह के द्वारा किसानों के पक्ष में आवाज उठायी।

सच्चाई को पहले पहचानना और उसके आधार पर अन्यायपूर्ण शासन के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध करने का राजनैतिक प्रयोग गांधीजी ने चम्पारण से ही शुरू किया था।

स्वतंत्रता संग्राम के सशक्त रणनीति के रूप में सत्याग्रह का प्रादुर्भाव बिहार की पवित्र भूमि से ही हुआ था।

चम्पारण में गांधीजी के प्रयोग के तीन महत्वपूर्ण अंश हमें स्फूर्ति प्रदान करते हैं।

एक है ‘सत्यान्वेषण’। समस्या को समझने की कोशिश। गांधीजी ने किसानों की शिकायतों की जांच के बारे में बताया तथा राजेंद्र प्रसाद, महादेव देसाई और जे.बी. कृपलानी के साथ-साथ, उन्होंने जांच कर विस्तृत बयान दर्ज किये थे। उन्होंने पहले ही 8,000 किसानों की साक्षियों को एकत्र किया था जिससे सबूत को खंडन करना मुश्किल था। वास्तविक परिस्थिति को जानना पहला कदम था।

दूसरा था : जनजीवन में सुधार लाना और जनमानस में विश्वास जगाना।

गांधीजी ने चम्पारण में अनेक विद्यालय और अस्पताल स्थापित किए। स्वच्छता का अभियान चलाया और छुआछूत के विरूद्ध भी जनांदोलन प्रारंभ किया। इससे उस प्रांत के लोगों में गांधीजी के नेतृत्व पर विश्वास सुदृढ़ हो गया। वे समझ गए थे कि गांधीजी न केवल उनके श्रेयोभिलाषी हैं बल्कि उनके समस्याओं को हल करने का सामर्थ्य रखते हैं।

तीसरा अंश – अविचलित दीक्षा – जब तक समस्याओं का समाधान न हो गांधीजी निरंतर प्रयत्न करते रहते थे। उन्होंने हिम्मत और आत्मविश्वास से अंग्रेजों को नया कानून बनाने के लिए मज़बूर कर दिया। चम्पारण में गांधीजी का प्रयोग शांतिपूर्ण सत्याग्रह के अनुपम उपलब्धि का ज्वलंत उदाहरण है। हम सब के लिए निरंतर प्रेरणादायी घटना है।

महात्मा गांधीजी को याद करते हुए उनके बताए गए संदेशों को लोगों के बीच फैलाने का काम बिहार सरकार ने किया है, इसके लिए मैं बिहार सरकार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी को बधाई देता हूं।

मुझे प्रसन्नता है कि गांधीजी के संदेशों को गाँव-गाँव, घर-घर, विद्यालयों में बच्चों के बीच पहुंचाया गया है।

गांधीजी नशा – विरोधी थे। वे कहते थे – शराब से शरीर नष्ट होता है और आत्मा भ्रष्ट होती है। महिलाओं के सम्मान के लिए बाल-विवाह और दहेज प्रथा जैसी बुराईयों को दूर करने का उन्होंने संदेश दिया था। गांधीजी के सपनों को बिहार सरकार ने सरजमीन पर उतारने का कार्य किया है। नशाबंदी, बाल-विवाह पर रोक एवं दहेज उन्मूलन के लिए सख्त कानून के साथ-साथ व्यापक जन-जागरण का कार्य बिहार में हो रहा है।

आज़ादी के 70 साल बाद भी हमारे समाज के सामने बहुत चुनौतियां हैं, जीवन पद्धति में कुरीतियां हैं। जाति भेदभाव, अस्पृश्यता, भ्रष्टाचार, महिलाओं पर अत्याचार कालाधन का दुष्प्रभाव, हमारे समाज को कलंकित कर रहे हैं। इसके साथ-साथ ग्रामीण शहरी प्रदेशों में अंतर, सामाजिक आर्थिक असमानतायें बढ़ रही हैं। महात्मा गांधीजी कहते थे कि ग्राम राज्य के बिना राम राज्य का सपना अधूरा रह जाएगा। हमारे देश की अधिकांश जनता गांवों में रहती है। उनके उत्थान पर विशेष ध्यान देना बहुत आवश्यक है। चंपारण सत्याग्रह का महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान है।

बिहार सरकार का सामाजिक सुधार के लिए किया गया कार्य एवं गांधीजी के सपनों को कार्य रूप देने का प्रयास अत्यंत सराहनीय है। इन्हीं तरीकों से हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।

आज गांधी मैदान, पटना में गांधीजी की याद में अनेक कार्यक्रम होने जा रहे हैं। आप सभी इस उत्सव में भाग लें, बिहार के क्रांतिधर्मी इतिहास और गांधी दर्शन से प्रेरणा लें और एक अच्छे समाज, अच्छे राज्य और अन्तत: अच्छे भारत के निर्माण के लिए संकल्प लें, मेरी आकांक्षा है कि आप सब कार्योन्मुख होकर लक्ष्य सिद्धि की ओर बढ़ें।

अंत में, मैं महात्मा गांधीजी के प्रति अपना हार्दिक सम्मान व्यक्त करता हूं, नमन करता हूं और इस भव्य आयोजन में भाग लेने का अवसर प्रदान करने के लिए आप सब के प्रति आभार प्रकट करता हूं।

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