18 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

गंगा संस्कृति यात्रा का शुभारंभ 14 फरवरी, 2016 को गंगोत्री से

देश-विदेश

नयी दिल्लीः गंगा की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित और खोजने वाली ‘गंगा संस्कृति यात्रा’ का शुभारंभ 14 फरवरी, 2016 को

सुबह सूर्योदय के समय 6 बजकर 56 मिनट पर गंगोत्री से होगा। गंगा संस्कृति यात्रा का शुभारंभ संस्कृति मंत्रालय में अपर सचिव श्री के.के. मित्तल गंगोत्री में करेंगे। यात्रा की समाप्ति पर कपिल मुनि आश्रम, गंगा सागर में समारोह का आयोजन किया जाएगा। गंगा संस्कृति यात्रा का उद्देश्य गंगा नदी की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के साथ-साथ गंगा नदी को सुरक्षित रखने और पुनर्जीवित करने के प्रति आम लोगों में जागरूकता का संदेश बढ़ाना है। गंगा भारत की जीवनदायनी और राष्ट्रीय विरासत है और इससे भारतीय संस्कृति की कई धाराएं मिलती हैं। अब इस सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने का समय आ गया है। इसलिए गंगा संस्कृति यात्रा नामक समारोह की योजना बनाई गई है। 14 फरवरी, 2016 को गंगोत्री से प्रारंभ होकर 13 मार्च, 2016 तक गंगा सागर में समाप्ति तक 262 विभिन्न स्थानों पर इस संबंध में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा और इसके द्वारा करीब ढ़ाई करोड़ लोगों को जोड़ा जाएगा।

यात्रा के प्रमुख केंद्रों जैसे गंगोत्री, हरिद्वार, बिजनौर, फर्रूखाबाद, कन्नौज, कानपुर, इलाहाबाद, मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, बक्सर, छपरा, वैशाली, पटना, बेगुसराय, मुंगेर, सुल्तानगंज, भागलपुर, राजमहल, मुर्शिदाबाद, बहरामपुर, दखिनेश्वर और गंगा सागर के अतिरिक्त समारोह में गंगा की सभी सहायक नदियों और ऐतिहासिक महत्व के स्थानों पर भी इसका आयोजन किया जाएगा।

गंगा संस्कृति यात्रा में सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके मद्देनजर यात्रा को विभिन्न भागों में बांटा गया है और इसका केंद्र बिंदु वाराणसी होगा। वाराणसी में संगम से वाराणसी तक के कलात्मक क्रियाकलापों का प्रदर्शन किया जाएगा। यात्रा के दौरान कलात्मक क्रियाकलापों और गंगा की सांस्कृतिक विरासत पर सर्वेक्षण और दस्तावेजों को श्रृंखला के प्रारंभ होने पर विमोचन किया जाएगा। समारोह में भाग लेने के लिए संस्कृति मंत्रालय ने छात्रों, विद्वानों और गणमान्य अतिथियों को आमंत्रण पत्र भेजे हैं।

समारोह का मुख्य आकर्षण गंगा से जुड़ी विभिन्न कलात्मक क्रियाकलापों का प्रदर्शन होगा। इसके अंतर्गत पारंपरिक गीत, पारंपरिक नृत्य, पारंपरिक रंगमंच, वृत्तचित्र और फिल्मों का प्रदर्शन, नुक्कड़ नाटक, कवि सम्मेलन, फोटो प्रदर्शनी, फिल्म प्रदर्शन, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं, संगोष्ठी और पोस्टर अभियानो का आयोजन किया जाएगा। संगोष्ठी के दौरान गंगा की सांस्कृतिक विविधता और विरासत तथा इसे बचाए रखने की चुनौतियों पर विचार विमर्श किया जाएगा। संगोष्ठी का आयोजन हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय, छपरा, पटना विश्वविद्यालय, भागलपुर विश्वविद्यालय, तिलका मांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर, प्रेजीडेंसी विश्वविद्यालय, जाधवपुर विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय, कलकत्ता, कल्याणी विश्वविद्यालय और बारासात विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल में किया जाएगा। गंगा नदी भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी नदियों में से एक है। यह भारत की सबसे बड़ी नदी है और हिमालय के पर्वतों से बंगाल की खाड़ी तक 2525 किलोमीटर का प्रवाह तय करती है। गंगा नदी के किनारे भारी जनसंख्या का निवास है और लगभग 400 मिलियन लोग इसके किनारे रहते हैं। गंगा नदी अपने उद्गम से समुद्र में मिलने तक उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में प्रवाह करती है।

गंगा को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय विरासत घोषित किया गया है और यह देश की राष्ट्रीय नदी है। गंगा की गाथा भारत की नागरिकता और संस्कृति की गाथा है। गंगा के किनारे कई जनपद और कई राजघरानों का निर्माण और विस्तार हुआ। गंगा की सांस्कृतिक विविधता का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि गंगा की लहरों के किनारे 62 धुने, 254 तरह के गीत और नाटक, 122 नृत्य शैलियां, 200 शिल्प, लोक चित्रकला की 12 शैलियां और 26 भाषाएं और बोलियां पाई जाती हैं। पौराणिक गाथाओं और महाकाव्यों ने गंगा को पवित्र नदी माना गया है। गंगा का सम्मान सभी धर्मों और पंथों द्वारा किया जाता है। प्राचीन युग से ही गंगा में कई कवियों और लेखकों को आकर्षित किया है। आज गंगा के किनारे सौ से अधिक समारोह और 50 प्रमुख मेलों का आयोजन किया जाता है, जिसमें प्रति वर्ष 400 से 500 करोड़ लोग इनका भ्रमण करते हैं। इससे एक करोड़ लोग अपनी आजीविका अर्जित करते हैं। संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में असम, बिहार, झारखंड, मणिपुर, ओडिशा, सिक्किम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह सदस्य राज्य हैं। अनुमति प्राप्त योजना के अंतर्गत प्रत्येक क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र को अपने क्षेत्र से बाहर समारोह जैसे सांस्कृतिक यात्रा का आयोजन करना होता है। पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने स्वच्छ भारत अभियान में भी भागीदारी की है।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More