नई दिल्ली: जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने आज गंगा किनारे जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नयी दिल्ली के अशोका होटेल के कंवेंशन हॉल में समपन्न हुआ। इस समझौते के अनुसार गंगा किनारे के गांवों में लोगों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा।
समझौते के मुताबिक उत्तराखंड में गंगा की धारा से लेकर पश्चिम बंगाल तक 1657 ग्राम पंचायतों में नमामि गंगे परियोजना के तहत परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत 1657 कलस्टर में जैविक खेती को विकसित किया जाएगा। इस परियोजना के अंतर्गत कृषि मंत्रालय कलस्टर निर्माण के साथ एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन और माइक्रो सिंचाई तकनीकियों पर प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगा।
गंगा किनारे जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए ग्राम पंचायत का कलस्टर बनाकर प्रतिनिधित्व किया जाएगा, जागरुकता अभियान चलाया जाएगा और मंत्रालय द्वारा स्वयं सहायता समूह बनाया जाएगा। इसके अलावा मोबाइल एप के जरिए संबंधित जानकारी मुहैया करायी जाएगी, रसायनों, उर्वरकों और कीटनाशकों से खेती को होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाएगा। गंगा घाटी में जल संरक्षण के लिए सिंचाई के उन्नत तरीकों को बढ़ावा देने की पहल की जाएगी और गंगा किनारे पशुधन पर आधारित आजीविका और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। कृषि मंत्रालय परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत देश भर में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है एवं पूर्वोत्तर राज्यों में विशेष रूप से चलाया जा रहा है।
समझौता ज्ञापन कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय केन्द्रीय मंत्री, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण सुश्री उमा भारती ने किया। कार्यक्रम में सम्मानीय अतिथि के रूप में माननीय केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह मौजूद थे।
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