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नमामि गंगे कार्यक्रम लागू करने के काम में तेजी लाने के लिए सचिवों की समिति का गठन

Gange Namami to hasten the implementation of the program committee of secretaries
देश-विदेश

नई दिल्‍ली: केन्‍द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और जल संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने नमामि गंगे कार्यक्रम को लागू करने के कार्य में तेजी लाने के लिए सचिवों की समिति के गठन की घोषणा की है। आज नई दिल्‍ली में गंगा नदी के बारे में उच्‍च अधिकार प्राप्‍त कार्यबल की पहली बैठक की अध्‍यक्षता करते हुए उन्‍होंने यह घोषणा की कि जल संसाधन, पर्यावरण और वन तथा पेय जल और स्‍वच्‍छता सचिव इस समिति के सदस्‍य होंगे। इस समिति‍ की एक पखवाड़े में कम से कम एक बैठक होगी। नमामि गंगे कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा करते हुए सुश्री उमा भारती ने कहा कि पहले पुरानी जिम्‍मेदारी पूरी करनी हैं और उन्‍हें नई पहलों से अलग किया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि परीक्षाओं के तुरंत बाद गंगा नदी के साथ-साथ स्थित स्‍कूलों और कॉलेजों के छात्रों को अपने तरीके से नमामि गंगे कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। विभिन्‍न राज्‍यों, विशेष रूप से उत्‍तराखंड और उत्‍तर प्रदेश से अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने में हुई धीमी प्रगति पर असंतोष जाहिर करते हुए उन्‍होंने कहा कि हमें इस पर ध्‍यान देना चाहिए और जल्‍दी से जल्‍दी इस कार्य में तेजी लाई जानी चाहिए। उन्‍होंने विभिन्‍न राज्‍यों से जल्‍द से जल्‍द राज्‍य और जिला स्‍तर पर गंगा समितियां गठित करने का अनुरोध भी किया।

     अर्जित हुई प्रगति का सिंहावलोकन देते हुए उन्‍होंने बताया कि वर्तमान में 42 सीवेज बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इन परियोजनाओं से 327.93 एमएलडी सीवेज उपचार क्षमता का सृजन होगा। दिसंबर, 2016 तक 253.50 एमएलडी सीवेज उपचार क्षमता का सृजन हो चुका है। इन परियोजनाओं के तहत 3896.55 किलोमीटर सीवर नेटवर्क बिछाया जाना है। 1060.96 किलोमीटर सीवर नेटवर्क बिछाया जा चुका है और शेष कार्य प्रगतिपर है। उन्‍होंने बताया कि वर्तमान में आठ सीवेज उपचार संयंत्र परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है ,जिन पर 348.76 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इन परियोजनाओं से 109.40 एमएलडी उपचार क्षमता का निर्माण होगा। दिसंबर, 2016 तक 33.40 एमएलडी उपचार क्षमता का सृजन हो चुका था।

     सुश्री उमा भारती ने यह भी बताया कि 760 बहुत अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों (जीपीआई) में से 572 उद्योगों में ऑनलाइन प्रवाह निगरानी प्रणालियां लगाई गई हैं और ऐसे 266 उद्योगों से डैशबोर्डपर ऑनलाइन डाटा प्राप्‍त किया जा रहा है। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के लिए डाटा कनेक्टिविटी की निगरानी का कार्य सीपीसीबी, राज्‍य और राज्‍य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किया जा रहा है। निर्धारित मानदंडों का पालन न करने वाले 135 जीपीआई को बंद कर दिया गया है और 17 को छूट दी गई है। बकाया 36 इकाइयों को ऑनलाइन प्रवाह निगरानी प्रणाली लगाने के लिए 31 मार्च, 2017 तक का समय दिया गया है।

     सुश्री उमा भारती ने बताया कि राष्‍ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत आठ रियल टाइम गुणवत्‍ता निगरानी स्‍टेशन (आरटीडब्‍ल्‍यूक्‍यूएमएस) परिचालित हैं। 113 आरटीडब्‍ल्‍यूक्‍यूएमएस के नेटवर्क की योजना बनाई गई है। पहले चरण में 36 आरटीडब्‍ल्‍यूक्‍यूएमएस स्‍थापना के अधीन हैं और यह कार्य मार्च, 2017 तक पूरा किया जाना है। केन्‍द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा नदी की सहायक नदियों पर 9 आरटीडब्‍ल्‍यूक्‍यूएमएस स्‍थापित करने का प्रस्‍ताव किया है।

     मंत्री महोदया ने बताया कि अभी तक नदी की मुख्‍य धारा के साथ-साथ चिन्हित 4291 गांवों में से 2789 गांवों को खुले में शौच से मुक्‍त (ओडीएफ) घोषित किया गया है। लक्ष्‍य में से कुल 8,96,415 (54 प्रतिशत) व्‍यक्तिगत घरेलू शौचालय का लक्ष्‍य पूरा हो चुका है।

    सुश्री भारती ने कहा कि 182 घाटों और 118 शमशान घाटों को मंजूरी दी गई है। वर्तमान में 50 घाटों और 50 शमशान घाटों का कार्य प्रगति पर है। बकाया घाटों और शमशान घाटों का कार्य अगले तीन महीनों में शुरू हो जाएगा। 15.27 लाख व्‍यक्तिगत घरेलू शौचालयों के लक्ष्‍य की तुलना में लगभग 10 लाख व्‍यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण मार्च, 2017 तक पूरा होने का अनुमान है। 25 चुनिंदा गांवों में तरल और ठोस अपशिष्‍ट प्रबंधन अगले तीन महीनों में शुरू हो जाएगा। सभी पांच गंगा राज्‍यों में पौधा रोपण से पूर्व की गतिविधियां शुरू की जाएंगी, ताकि अगले मानसून सीजन के दौरान 2016-17 के साथ-साथ 2017-18 की कार्य योजना के लिए पौधारोपण किया जा सके।

    इस बैठक में सचिव जल संसाधन, सचिव पेयजल और स्‍वच्‍छता तथा विभिन्‍न केन्‍द्रीय मंत्रालयों और राज्‍य सरकारों के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

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