केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण एवं कपड़ा मंत्री, श्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के ठोस प्रयासों और सर्वोत्तम संभव उपयोग के साथ, हमारी रसद लागत को सकल घरेलू उत्पाद के 7-8 प्रतिशत तक कम करना संभव है जो दुनिया में सर्वाधिक न्यूनतम स्तरों में से एक है और वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ाता है।
वह आज नई दिल्ली से उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा आयोजित “प्रधानमंत्री गतिशक्ति पर वेबिनार: त्वरित आर्थिक विकास के लिए सहक्रियता बनाना” के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों, निजी क्षेत्रों के प्रमुख शिक्षाविद और उद्योग जगत के 850 से अधिक प्रतिनिधि वेबिनार के दौरान भारत की रसद दक्षता बढ़ाने की रणनीति पर चर्चा करने और प्रारूप तैयार करने के लिए आमंत्रित हुए।
वेबिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए श्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह वेबिनार सभी हितधारकों के लिए प्रधानमंत्री गतिशक्ति को आगे बढ़ाने और इसके साथ ‘सबका प्रयास’ के माध्यम से पूरी शक्ति का उपयोग करने के सरकार के ‘प्रयास’ को ‘गति’ देगा। गति शक्ति के लिए प्रधानमंत्री के समग्र दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि गतिशक्ति में बुनियादी ढांचे की योजना बनाने के लिए एक ‘समग्र दृष्टिकोण के रूप में राष्ट्र’ की परिकल्पना की गई है।
श्री गोयल ने दुख जताया कि भारत दशकों से बुनियादी ढांचे के विकास की कमी के कारण पिछड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व बुनियादी ढांचे को अलग-अलग तौर पर बनाया गया था और इसमें केंद्र, राज्यों और स्थानीय निकायों के बीच समन्वय का पूर्ण अभाव था, जिसके परिणामस्वरूप अंतराल के साथ असमान विकास हुआ। उन्होंने कहा कि गतिशक्ति राज्यों और केंद्रीय निकायों को औद्योगिक समूहों की आवश्यक्ताओं के अनुसार बंदरगाहों, बिजली, पानी, इंटरनेट कनेक्टिविटी, रेल, सड़क, सामान्य समृद्ध उपचार संयंत्र, पैकेजिंग सुविधाओं और यहां तक कि कौशल विकास केंद्रों जैसी उपयोगिताओं और बुनियादी ढांचे की योजना बनाने में सहायता करेगी। उन्होंने सभी हितधारकों से निरंतर गतिशक्ति के साथ जुड़ने और इसकी अद्भुत क्षमता का सर्वोत्तम संभव उपयोग करने का आह्वान किया।
मंत्री महोदय ने कहा कि जब बुनियादी ढांचे की बात आती है तो गलतियों में सुधार करना बेहद कठिन होता है। उन्होंने कहा कि समय का विलम्ब अक्सर परियोजनाओं को पुराना और अप्रासंगिक बना देता है। उन्होंने कहा कि व्यापक योजना और सूक्ष्म कार्यान्वयन के बीच भारी अंतर ही समस्या का मूल कारण था। उन्होंने कहा कि निर्णय लेने में अदूरदर्शी दृष्टिकोण के कारण, बजट व्यर्थ हो गया और बुनियादी ढांचा को गुणक रूप में विस्तारित करने के स्थान पर, हम अक्सर इसका महत्व ही खो देते हैं।
श्री गोयल ने कहा कि ‘प्रगति के लिए कार्य, प्रगति के लिए धन, प्रगति के लिए योजना और प्रगति के लिए वरीयता’ के प्रधानमंत्री के मंत्र से निर्देशित, गतिशक्ति ने हर स्तर पर केंद्र और राज्यों के मध्य तालमेल और समन्वय बढ़ाने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गतिशक्ति में प्रगति के 7 इंजनों जैसे सड़कें, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह, जन परिवहन, जलमार्ग और रसद बुनियादी ढांचा के द्वारा अर्थव्यवस्था और राष्ट्र को गति देने की परिकल्पना की गई है।
श्री गोयल ने कहा कि गतिशक्ति जीवन की सुगमता के साथ-साथ व्यवसाय करने में आसानी को बेहतर बनाने के लिए अगली पीढ़ी के बुनियादी ढ़ाचों के निर्माण में सहायता करेगी। उन्होंने कहा कि इससे निजी और सार्वजनिक निवेश का बेहतर चक्र प्रारंभ होगा और इसका प्रभाव कई गुना होगा।
उन्होंने गति शक्ति को जीवंत बनाने के लिए बीआईएसएजी-एन के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत की सराहना की और मास्टर प्लान को ट्रैक पर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए डीपीआईआईटी को बधाई दी। यह ध्यान देने योग्य है कि बीआईएसएजी-एन (भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशन एंड जियोइनफॉरमैटिक्स) द्वारा विकसित राष्ट्रीय मास्टर प्लान पोर्टल एक गतिशील जीआईएस प्लेटफॉर्म है। यह परियोजना प्रबंधन उपकरण, गतिशील डैशबोर्ड, एमआईएस रिपोर्ट आदि के साथ एक डिजिटल मास्टर प्लानिंग टूल है। यह भारत में बुनियादी ढांचे के विकास का एक विहंगम दृश्य प्रदान करता है।
यह ध्यान देते हुए कि हमें सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निवेश को बढ़ाने और आपूर्ति पक्ष के बुनियादी वित्तपोषण को सक्षम करने का लक्ष्य रखना चाहिए, मंत्री महोदय ने कहा कि परियोजनाओं के लिए व्यावहारिक वित्तीय मॉडल की आवश्यकता है ताकि मुकदमों की कम से कम गुंजाइश के साथ स्मार्ट रियायत समझौते तैयार किए जा सकें और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए दीर्घकालिक और लागत प्रभावी समझौतों के विकल्प तैयार किए जा सकें।
श्री गोयल ने डेटा साझा करने और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा जगत, उद्योग और सरकार में बहु-हितधारक सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने भूमि, पर्यावरण, वन आदि की शीघ्र स्वीकृति के लिए विभिन्न एजेंसियों के मध्य बेहतर समन्वय बनाने को भी कहा।
वेबिनार को ‘सागर मंथन’ की पौराणिक कहानी का संदर्भ देते हुए, मंत्री महोदय ने विश्वास व्यक्त किया कि वेबिनार कई नए विचारों का ‘मंथन’ करेगा, जिन्हें जल्द ही कार्यों में परिणित किया जाएगा।
आजादी का अमृत महोत्सव समारोह का उल्लेख करते हुए, श्री पीयूष गोयल ने कहा कि हमारे इतिहास के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, हम सभी को सामूहिक रूप से सोचने की जरूरत है कि हम किस तरह से और सुधार कर सकते हैं और स्वयं से प्रश्न पूछते रहें कि आज मैं देश के लिए क्या कर सकता हूं जिससे पीढ़ियों को लाभ हो सकता है?
श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री गतिशक्ति एक ऐसा साधन है, जिसका अगर ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जाए तो ‘अमृत काल’ में भारत एक महाशक्ति बन जाएगा। प्रधानमंत्री गतिशक्ति हमारी वास्तविक क्षमता का प्रदर्शन करेगा और दुनिया को दिखाएगा कि कैसे एक आत्मविश्वासी आत्मनिर्भर भारत हमारे नागरिकों के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के साथ जुड़ रहा है।
इससे पूर्व, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन भाषण दिया और ब्रेकआउट सत्रों में पांच उप-समूहों ने गति शक्ति के कार्यान्वयन से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के डीपीआईआईटी के सचिव श्री अनुराग जैन ने एकीकृत योजना और समकालिक समयबद्ध कार्यान्वयन का एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए ‘एक संपूर्ण दृष्टिकोण के रूप में राष्ट्र’ पर सत्र की अध्यक्षता की। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के डीपीआईआईटी में लॉजिस्टिक्स के विशेष सचिव श्री अमृत लाल मीणा ने ‘सहकारी संघवाद और बुनियादी ढांचे के लिए उन्नत पूंजी निवेश’ पर दूसरे सत्र की अध्यक्षता की। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव, श्री गिरिधर अरमाने ने सागरमाला, पर्वतमाला के साथ-साथ पीएम गतिशक्ति मल्टी-मॉडल कार्गो टर्मिनलों के अलावा राष्ट्रीय एक्सप्रेस वे मास्टर प्लान पर ध्यान केंद्रित करते हुए ‘लॉजिस्टिक्स दक्षता के सक्षमकर्ता’ पर एक अलग सत्र की अध्यक्षता की। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने ‘लॉजिस्टिक्स कार्यबल रणनीति- कौशल और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना’ सत्र की अध्यक्षता की। समापन सत्र की अध्यक्षता नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत ने की, इस सत्र का शीर्षक ‘यूलिप-रिवोल्यूशनाइजिंग इंडियन लॉजिस्टिक्स’ था।