नई दिल्ली: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा “ जीईएसी ने 04-01-2016 को आयोजित अपनी 126वीं बैठक में आनुवांशिक रूप से अभियंत्रित (जीई) फसलों के सुरक्षा मूल्यांकन से संबद्ध विशिष्ट विषयों में विशेषज्ञ वैज्ञानिकों के साथ एक उप समिति का गठन किया। उप समिति में एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. बी. शशिकरण भी हैं जो पैथोलॉजी में एमडी और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के नेशनल इंस्ट्रीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन के पूर्व निदेशक हैं और वर्तमान में जेनेटिक मैनिपुलेशन पर रिव्यू कमेटी (आरसीजीएम) के चेयरमैन के रूप में काम कर रहे हैं।
जीई मस्टर्ड (ब्रेसिका जुनशिया) हाईब्रिड डीएमएच – 11 को पर्यावरण रूप से जारी करने के लिए खाद्य एवं पर्यावरण सुरक्षा के आकलन (एएफईएस) एवं नई पीढ़ी हाईब्रिडों के विकास के लिए पैरेंटल इवेन्ट्स (वरुणा बीएन 3.6 एवं ईएच 2 मोड्बस 2.99) के उपयोग को 30 दिनों की अवधि के लिए हितधारकों एवं आम जनता द्वारा टिप्पणी हेतु 05-09-2016 को वेबसाइट पर डाल दिया गया है। पूर्ण जैव सुरक्षा डोसियर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, वी-232, द्वितीय तल, वायु ब्लॉक, इंदिरा पर्यावरण भवन, जोर बाग रोड, नई दिल्ली -110003 के जीईएसी सचिवालय में भी उपलब्ध है। ”
यह स्पष्टीकरण विशेष रूप से टाइम्स ऑफ इंडिया में हाल में छपे एक लेख के संदर्भ में मीडिया के एक हिस्से में की गई टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में जारी किया गया है जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि नई पीढ़ी के हाइब्रिडों के विकास हेतु जीई मस्टर्ड (ब्रेसिका जुनशिया) हाईब्रिड डीएमएच – 11 एवं पैरेंटल इवेन्ट्स (वरुणा बीएन 3.6 एवं ईएच 2 मोड्बस 2.99) को पर्यावरण रूप से जारी करने की मंजूरी के लिए जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रोप प्लांट्स (सीजीएमसीपी) के लिए केंद्र द्वारा प्रस्तुत जैव सुरक्षा डोसियर की समीक्षा के लिए जीईएसी द्वारा गठित उप समिति में “कोई स्वास्थ्य विशेषज्ञ नहीं है।”