नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान में चौथे बुनियादी प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य सेवाओं के जनरल ड्यूटी चिकित्सा अधिकारियों (जीडीएमओ) ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद से मुलाकात की।
युवा चिकित्सकों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश ने लोगों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में काफी प्रगति की है। पोलियो और चेचक जैसे रोगों का उन्मूलन हो गया है, जिसके कारण बहुत से लोगों की मौत हो जाती थी। हमारा टीकाकरण कार्यक्रम सशक्त हो रहा है। हमने मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम किया है। फिर भी, हम अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और एक समग्र स्वास्थ्य प्रणाली विकसित करने में एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है, जो कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में हमारे नागरिकों के लिए समान रूप से सस्ती और सुलभ है। इस संबंध में, यह संतोष की बात है कि सरकार ने व्यापक स्वास्थ्य कवरेज को प्राथमिकता दी है। आयुष्मान भारत योजना का रोलआउट और सफलता इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें इस तीव्र गति को बनाए रखना है और ऐसा करने में चिकित्सक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में बीमारी का बोझ एक उद्भव के दौर से गुजर रहा है। हमें टीबी, मलेरिया और डेंगू जैसी व्यापक तौर पर फैलने वाली बीमारियों से निपटना होगा और साथ ही जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्तचाप, अवसाद आदि से भी निपटना होगा। उन्होंने चिकित्सकों से स्वास्थ्य के प्रति रोकथाम, कल्याण, इलाज, सामुदायिक सशक्तिकरण से लेकर अनुसंधान और नवाचार तक एक बहु-विषयी पहुंच की दिशा में काम करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि चिकित्सक के रूप में, वे स्वस्थ जीवन शैली को प्रोत्साहित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हम नियमित व्यायाम और शारीरिक गतिविधि, योग और ध्यान के अभ्यास के साथ अपने जीवन में बढ़ते तनाव से मुक्त हो सकते हैं। इस तरह की जीवन शैली को बढ़ावा देने और कल्याण की संस्कृति कायम करने में चिकित्सक अत्यधिक प्रभावी साबित हो सकते हैं।