लखनऊ: नये रोपित बागों को अधिक तापक्रम व लू से बचाने हेतु थ्रैचिंग (छाया बनाना) करें। वर्तमान मौसम में आम के फलों को आंतरिक ऊतक क्षय (फू्रट निक्रोसिस) से रोकथाम हेतु बोरेक्स 1 प्रतिशत (10 ग्राम/लीटर पानी) घोल का छिड़काव करें। आम के फलों को गिरने से बचाने के लिए नैप्थलीन एसिटिक एसिड (एन.ए.ए.) 20 पी.पी.एम. अथवा प्लेनोफिक्स 90 मिली/200 लीटर पानी का छिड़काव करें।
जिन क्षेत्रों में आम में भुनगा, थ्रिप्स अथवा मिलीबग का प्रकोप हो वहाॅ थायामेथोक्जाम (0.008 प्रतिशत) का छिड़काव करें। आम में गुम्मा व्याधि से ग्रसित बौर को निकाल कर जला देना चािहए ।
उ0प्र0 कृषि अनुसंधान परिषद के सभागार में आयोजित बैठक के फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी गई सलाह के अनुसार लीची फल बेधक की रोकथाम हेतु डाइक्लोरोवास 1.5 मिली./ली. पानी में या मोनोक्रोटोफाॅस 1 मिली./ली. पानी की दर से फल बनने के पश्चात एक माह के अन्तर पर पर्णीय छिड़काव किया जाए। केले में प्रति पेड़ 50-60 ग्राम यूरिया तथा 200-250 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश को गुड़ाई के बाद मिट्टी में मिलायें। इसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करें तथा पुत्तियों की कटाई करें। नीबू वर्गीय फलों में नीबू की तितली के गिडार की रोकथाम हेतु 5 प्रतिशत एलसान धूल अथवा 50 प्रतिशत कार्बरिल का भुरकाव करें।
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