राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता संगोष्ठी में शामिल हुईं। उन्होंने ‘ मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सर्वेक्षण योजना ‘ तथा सभी सार्वजनिक सड़क परिवहन सुविधाओं के लिए हरियाणा ई- टिकटिंग परियोजनाओं का भी शुभारंभ किया और वर्चुअल तरीके से सिरसा में एक चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल का भी शिलान्यास किया।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि श्रीमद भागवत गीता सही अर्थों में एक वैश्विक ग्रंथ है। इसका कई भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। यह भारत की सबसे अधिक लोकप्रिय पुस्तक है। गीता पर जितनी टीकायें लिखी गई हैं, उतनी शायद ही किसी अन्य पुस्तक पर लिखी गई होंगी। जिस प्रकार योग संपूर्ण विश्व समुदाय के लिए भारत का उपहार है, गीता समस्त मानवता के लिए भारत का अध्यात्मिक उपहार है।
राष्ट्रपति ने कहा कि गीता हमें कड़ी मेहनत करना और परिणाम की चिंता न करने का पाठ पढ़ाती है। निःस्वार्थ भाव से कड़ा परिश्रम करना ही जीवन का सही मार्ग है। कर्म करने से जीवन सार्थक हो जाता है, अकर्म तथा इच्छा दोनों का ही त्याग हो जाता है। सुख एवं दुख में समान बने रहना, लाभ एवं हानि को समान भाव से स्वीकार करना, मान या अपमान से प्रभावित न होना और सभी परिस्थितियों में संतुलन बनाये रखना – गीता का बहुत उपयोगी संदेश है।
राष्ट्रपति ने कहा कि श्रीमद भागवत गीता एक ऐसी पुस्तक है जो विपरीत परिस्थतियों में उत्साह का संचार करने वाली है तथा अवसाद में आशा का संचार करती है। यह जीवनदायिनी ग्रंथ है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजकों से गीता के संदेश के प्रचार प्रसार के लिए सतत प्रयास करते रहने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि गीता के उपदेशों को व्यवहार में लाना अधिक महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें स्वास्थ्य सर्वेक्षण योजना तथा ओपेन लूप टिकटिंग सिस्टम को लांच करने और सिरसा में एक चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल का भी शिलान्यास करके बहुत प्रसन्नता हुई। उन्होंने कहा कि ये पहल हमें गीता के कथन ‘ सर्व-भूता -हिते राताः ‘ का स्मरण कराती हैं जिसका अर्थ है कि जो लोग सभी प्राणियों के कल्याण में लगे हुए हैं, वे ईश्वर की कृपा के पात्र हैं। उन्होंने इन लोक कल्याणकारी पहलों के लिए हरियाणा सरकार की सराहना की।