नई दिल्ली/देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय संचार, इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद से भेंट कर भारत नेट फेस-2 परियोजना के अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य के प्रस्ताव व राज्य के स्टेट डाटा सेंटर के लिए अनुदान राशि की स्वीकृति दिए जाने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि दूरसंचार मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भारत-नेट फेज-2 के अन्तर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत तक ऑप्टिकल फाईबर के माध्यम से कनेक्टिविटी प्रदान की जानी थी। यह योजना पूर्व में माह दिसम्बर, 2018 तक पूर्ण होनी थी, जिसे तदोपरान्त मार्च, 2019 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य रखा गया था। परियोजना पर कार्य आरम्भ न हो पाने के कारण यू.एस.ओ.एफ. (यूनिवर्सल सर्विसीस ओब्लिगेशन फण्ड) के स्तर से परियोजना को लोक निजी सहभागिता मॉडल पर क्रियान्वित किये जाने के निर्देश प्राप्त हुये थे। इसके अन्तर्गत भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रम पी.जी.सी.आई.एल. द्वारा लगभग रूपये 2700 करोड़ का प्रस्ताव दिया गया। पुनः यूएसओएफ द्वारा राज्य से आग्रह किया गया कि परियोजना का प्रस्ताव स्टेट लेड मॉडल के आधार पर प्रस्तुत किया जाये। इस आग्रह के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा रूपये 1914 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है। उल्लेखनीय है कि इस प्रस्ताव में परियोजना लागत पी.जी.सी.आई.एल. द्वारा दिये गये प्रस्ताव से काफी कम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए पहाड़ी क्षेत्र के दूर दराज इलाकों में कनेक्टिविटी प्रदान किया जाना नागरिकों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है और सरकार के लिये यह शीर्ष प्राथमिकता का विषय है। राज्य के क्षेत्र जो कि अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से सटे हैं व सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील हैं, वहां भी कनेक्टिविटी पहुंचाना महत्वपूर्ण हैं। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि भारत नेट फेस-2 परियोजना के अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य के प्रस्ताव पर अनुमोदन देते हुए परियोजना के वित्त पोषण हेतु राज्य को धनराशि प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध करवाई जाए।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य ने नवीनतम तकनीकी हाईपर कन्वर्जड इन्फरास्ट्रक्चर पर आधारित प्रथम स्टेट डाटा सेंटर स्थापित कर क्रियाशील कर दिया है। साथ ही साथ राज्य ने नवीन नवाचार के अन्तर्गत ड्रोन एप्लिकेशन रिर्सच सेन्टर की स्थापना कर इस क्षेत्र में मानव संसाधन विकास हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आरम्भ कर दिये हैं। सॉफ्टवेयर टेक्नोलोजी पार्क्स ऑफ इण्डिया के अन्तर्गत स्टार्टअप हब की स्थापना के लिए राज्य सरकार की ओर से 29 एकड़ भूमि उपलब्ध करा दी गयी है। इस संदर्भ में राज्य की सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी एवं एसटीपीएल के मध्य एमओयू हस्ताक्षरित किया जा चुका है। इसके अन्तर्गत ड्रोन सम्बन्धित सेन्टर ऑफ एक्सिलैन्स एवं साईबर सिक्योरिटी अकादमी की स्थापना प्रस्तावित है, जिस हेतु लगभग रूपये 10 करोड़ की आवश्यकता होगी।
राज्य का स्टेट डाटा सेन्टर अन्य राज्यो की तुलना में बहुत ही कम लागत (रूपये 4.85 करोड़) से बनाया गया है। तथा इसमें 14 विभागों के एप्लीकेशन होस्ट किये गये हैं। राज्य के समस्त विभागों के एप्लीकेशन को होस्ट किये जाने तथा इसके एक ग्रीन डाटा सेन्टर बनाने की योजना है। इन कार्यो पर अनुमानिम व्यय रूपये 20 करोड़ है, जिसे अनुदान के रूप में राज्य को दिये जाने का आग्रह किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एनईजीडी द्वारा इण्डिया इण्टरप्राईज आर्कीटेक्चर योजना पायलट के रूप में कुछ राज्यों जैसे मेघालय व पंजाब आदि में संचालित हो रही है। इस तर्ज पर उत्तराखण्ड राज्य के चुनिन्दा विभाग- शिक्षा, स्वास्थ्य अथवा कृषि विभाग को पायलट के रूप में सम्मिलित किये जाने का अनुरोध है। इससे उत्तराखण्ड राज्य में बेहतर गवर्नेन्स उपलब्ध कराये जाने हेतु एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।