नई दिल्ली: सरकार एवं उद्योग जगत को देश में अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए अपने प्रयासों में सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। यह बात नीति आयोग के प्रधान सलाहकार एवं प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य सचिव श्री रतन पी.वटल ने 08 अगस्त, 2018 को नई दिल्ली में वैश्विक नवाचार सूचकांक 2018 को भारत में लांच किये जाने के अवसर पर कही।
इस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), जो विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (विपो) के साथ जीआईआई के संस्थापक साझेदारों में से एक है, द्वारा औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) के सहयोग से किया गया।
भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) में वर्ष 2017 के 60वें पायदान से चढ़कर वर्ष 2018 में 57वें पायदान पर पहुंच गया। भारत पिछले दो वर्षों से जीआईआई में अपनी रैंकिंग में निरंतर सुधार कर रहा है।
इस सूचकांक को लांच करते हुए श्री वटल ने कहा, ‘अनुसंधान एवं विकास पर खर्च करने की प्रवृत्ति भारत में बढ़ रही है और हम बेहतर रैंकिंग जैसे कि जीआईआई में रैंकिंग में सुधार होने के रूप में इसके सकारात्मक नतीजे देख रहे हैं।’
उन्होंने यह भी कहा कि जीआईआई 2018 की रिपोर्ट से एक और उद्देश्य पूरा हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे दुनिया की समान अर्थव्यवस्थाओं द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले उदाहरणों से अवगत होने के साथ-साथ यह समझने में मदद मिलती है कि इन देशों में इस तरह के बदलाव आखिरकार कैसे संभव हो पाए हैं।
इस रिपोर्ट में भारतीय अध्याय का लेखन करने वाले परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोदकर ने कहा कि हमें निश्चित रूप से ऐसी रणनीतियां तैयार करनी चाहिए, जिससे हमारे यहां ऊर्जा की किल्लत दूर हो और हम सतत घरेलू ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित कर सकें। उन्होंने भारत की ऊर्जा समस्याओं से निपटने के लिए अभिनव तौर-तरीकों पर गौर करने की जरूरत पर बल दिया।
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन के सहायक महानिदेशक श्री नरेश प्रसाद ने कहा कि जीआईआई ने विभिन्न राष्ट्रों को अपने नवाचार संबंधी प्रदर्शन की तुलना अन्य देशों से करने में समर्थ बना दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि विपो भारत के साथ मिलकर काम करना पसंद करेगा, ताकि उसके नवाचार परितंत्र का निर्माण हो सके। उन्होंने नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में निरंतर काम करने के लिए सीआईआई की सराहना की।